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मलाराधना
आश्वास
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मूलारा-पढनयम्मि पतति सति । देवे अणिमाद्यष्टगुणैश्वर्यसंपन्नान्सुरान् । विहडयदो अभिभवतः । तुमम्मि त्वयि | आसनमृत्यौ मनुष्यमात्रे | का सम्णा को विचारः । इच्छमानेनेदमस यमुपनीयमा प्रतियष्टुं शक्यते नेत्थमिति चचात्मिका युक्तिगिति यावत् । अथवा ॥
___ अर्थ-जिस वायुसे मेरु पर्वत भी स्थिर रह नहीं सकता है क्या उसस शुष्क पत्र स्थिर रहेगा? कर्मोदय अणिमादिक आठ गुणोंके धारक देखाको दुःखी बनाता है. इतर प्राणिवर्ग तो उनसे अत्यल्प शक्तिके धारक है क्या उनको यह कर्म दुःख दिये बिना रहेगा? .
कम्माई बलियाई बलिओ कम्मादु णथि कोह जगे ॥ सब्बबलाई कम्मं मलेदि हत्थीव णलिणिवर्ण ॥ १२१॥ बलीयेभ्यः समस्तेभ्यो घस्लीयः कर्म निश्चितम् ।।
तषस्लीयासि मृद्गति कमलानीय कुंजरः ।। १६८६ ॥ बिजयोश्या-कम्मा कर्माणि बलवति, कर्मभ्यो रलवानास्ति जगति । कस्माद्यस्मात्सर्षाणि पधुविद्याद्रव्यशरीरपरिवारबलानि मईयति इस्तीय नलिनयने ।।
फर्मथलस्य सर्वबलोपमईफत्वमाह--- मूलारा-सव्वबलाई बंधुविद्याद्रव्यशरीरपरिवारादिअलानि । मलेदि मर्दयति ।।
अर्थ-जगत्में कर्म ही अतिशय बलवान है,उससे दुसरा कोई भी बलवान् नहीं है.जैसे हाथी कमलवनका नाश करता है वैसे यह बलवान् कर्म भी सर्व बंधु. विद्या, द्रव्य, शरीर, परिवार, सामर्थ्य इत्यादिकोंका नाश करता है
इच्चे कम्मुदओ अवारणिज्जोत्ति सुकृ णाऊण ॥ मा दुक्खायसु मणसा कम्मम्मि सगे उदिण्णम्मि ॥ १६२२ ॥ कर्मोदयमिति ज्ञात्वा दुर्निवारं सुरैरपि । मा कार्षी नसे वखनदीणे सति कर्मणि ।। १६८७ ।।
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