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________________ बिश्वासा मूलाराधना ना लेते हैं. पराधीन होनेपर नातीदार लोक, उसका धन लेते हैं. अथवा राजा उसका धन हर लेता है. संगणिमित्तं कुद्धो कलह रोलं करिज्ज घेरं वा ॥ पहणेज्ज व मारेज्ज व मारेजेज्ज व य हम्मेज्जा ॥ ११५३॥ कलिं कलकलं वैरं कुरुते नाथते परं॥ नियते मार्यते लोकैहस्यते चार्थलंपटः ।। ११५२ ।। विजयोदया-संगणिमिसं कुद्धो रुटः परिग्रहनिमित्त कलई वैरं वा करोति इंति, ताडपति, । परं स्वयं प्राणाधियोजयति वा। परेण वा ताज्यते मार्यते परेण ॥ मूलारा- पहलेज तारयेत्परं । मारेनो मारयेत्परं । मारेग्जेज्ज मार्यते परैः । हम्मेज्ज ताश्यते परैः।। अर्थ-परिग्रहके निमित्नसे क्रोधी हुआ यह मनुष्य दूसरोंके साथ तंटा करता है. बैर करता है. दूसरोंको मारता है, पीटता है. दूसरोंके प्राण लेता है, अथवा दूसरोंके द्वारा यह मारा जाता है, पीटा जाता है. अहया होइ विणासो गंथस्स जलग्गिमूसायादीहिं।। णठे गथे य पुणो तित्वं पुरिसो लहदि दुक्खं ॥ ११५४ ॥ कृशानुमषिकांभोभिः संचितोऽथों विनाश्यते ।। सत्र नष्टे पुनर्वाद दाते शोकवहिना ॥ ११९३ ।। विजयोदया-अथवा होज पिणासो अथवा ग्रंथम्य विनाशो भवेत्। अग्निजलमूषकाविभिः नऐ पुनांथे तीम दुःख लमते मनुष्यः॥ मूलारा- स्पष्टम् अर्थ--अथवा उसके परिग्रहका नाश अग्नि, जल, चूहे वगैरहसे होता है. परिग्रह नष्ट होनेपर फिर वह पुरुष दुःखी होता है. "UE
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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