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मूलारावना
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अर्थ - ऊपर कहे प्रकारसे इस देहके सर्व अवयव अशुभ पुद्गलोंसे बने हैं. इसमें एक भी ऐसा अवयव नहीं दीखेगा जो अवयव पवित्र और शुचि हैं.
परिसव्यचम्मं पंडुरग मुयंतवणरसियं ॥
सुत्र वि दइदं महिले दपि णशे ण इच्छेज्ज || १०३८ ॥ दरनिःशेषचर्माण पांडुरंग गलद्रसां ||
fees नो कोऽपि वल्लभामपि वल्लभः ॥ १०६५ ।।
विजयोदया - परिसव्यचम्मं परितो दग्धसत्वरूपटलं पंडरगर्न पांडुरगात्रं पांहरतनुं । सुयंनवणरसि गिल । ठुवि ददं मद्दिले प्रियतमामपि विनतां । दहुंपि सेन्टुमपि नरोन वांछति ।
मूलारा- परिदड इति सवंतवणरमियं मन्त्रणरसो यस्यानां सवदूगरसिकां । सुविद अविभामपि ॥ अर्थ- जिसकी देहकी त्वचा अग्नीसे जल जानेसे सफेद दीख रही है. जिससे रस सदा झरता है. ऐसी स्त्री यदि पूर्व में अतिशय प्रिय थी तो भी उसकी ऊपर लिखे प्रकार ग्लानि उत्पन्न करने वाली अवस्था देखकर मनुष्य उसको देखने को भी चाहता नहीं.
जदि होज्ज मच्छियापत्तसरसियाए तथाए णो धगिदं ॥ को नाम कुणिमभरियं सरीरमालडुमिच्छेज्ज || १०३९ ॥ अभविष्यन्न चेद्रात्रं पिहितं सूक्ष्मया त्वचा ॥
को नामेदं तदास्मक्ष्यन्मक्षिका पत्रतुल्यया ।। १०६६ ।। इत्यंशाः ॥
विजयोदया जदि होज्ज तयार ण थमिदं यदि त्वचा न स्थगितं भवेत् । कीदृश्या मच्छिगाप ससरिसियाए मक्षिका पत्रवदिति । तदा को नाम इच्छेन कुणिमसरिव सरीरं को नाम वांछेत् । किं कुथितपूर्ण शरीरं आल स्प्रष्टुं ॥
अवयवाः ॥
आश्वासः
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