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________________ मूलाराधना अरस्थाका नाम 'कलुष' है. इसके अंनतर वह स्थिर होता है. ऐसी तीन अवस्थायें क्रमसे वीर्यको प्रथम मासमें मास होती है. आखास तत्तो मासं बुब्बुदभूदं अच्छदि पुणो वि घणभूदें। जायदि मासेण तदो मंसप्पेसी य मासेण ॥ १.०८ ॥ मासेन पुषुदीभूतं तन्मासेन धनीकृतम् ।। मांसपेशीच मासेन जायते गर्भपंजरे ॥ १०३६॥ विजयोत्या-तत्तो स्थिरभाघोसरकालं | मासे खुद भूतं अच्छदि मासमात्र बुद् खुद व आस्ते । पुणो वि पूनम नमू.जायमान जायते मासेन ततोऽपि घनभावानुस्तरकालं।मासपा मासेन । मंसप्पेसीय मांसपेशी भवति ॥ मूलारा-तत्तो इति-स्थिरभावोत्तरकालं । बुब्बुदभुदं बुन्दुद इब । घणभूदं कठिपत्वं प्रा। मंसपेसी हुंडसंस्थानो मांस पिंडः ॥ अर्थ-प्रथममासके अनंतर दूसरे मासमें बीर्यको बबुलकी अवस्था-बुबुदावस्था प्राप्त हो जाती है. पुनः एक मासतक वह घडू बन जाता है. इसके अनंतर चतुर्थ मासमें उसको मांसपेशीकी आकृति प्राप्त होती है. मासण पंच पुलगा तचो हुति हु गुणो वि मासेण ॥ अंगाणि उबंगाणि य णरस्स जायति गम्भम्मि ॥ १.०९ ॥ मासन पुलकाः पंच भासनांगानि षष्ठके। उपांगानि पजायंते गर्भवासनिवासिनः॥१.३७।। विजयोदया-मासेण पंच पुलगा मासेन पंच पुलका भवन्ति । पुणो थि मासेण पुनरुत्तरेण मासेन । अंगाणि उर्षगाणि य अंगान्युपांगानि च । शरस्स जायति गम्भम्मि मरस्य जायन्ते गर्ने । मासेण-पुख्या पुलकाः । नलकबाहुशिरोदेशेष्यकुराः । अंगाणि दोनलको, नियो, दो वाहू, उरः पृष्टं, शिरश्चेत्यष्टौ । वर्षमाणि उपांगानि अंगान्युपगवाः कर्णनासागंडोष्ठनेत्रांगुळिप्रभृत्यवयवाः । उक्तन-- १०६२
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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