SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 283
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुलाचार प्रदीप ] [पंचम अधिकार प्रदेशी है ॥७७॥ प्राकाश द्रव्य का स्वरूप और उसके भेदलोकालोक हि मेवाभ्यां द्विधाकाशः स्मतो जिनः । अवकाशप्रदः सर्वव्याणां खंडजितः ।।७।। धर्मोऽधोगिनः कालः पुद्गलाः खेत्र यावति । एते तिष्ठन्ति तावन्मानः लोकाकापाएपहि ।।७।। तस्मात्स्यात्परतोनंतप्रवेशएककोमहान । सर्वव्यातिगो नित्योऽलोकाकाशोजिनोदितः । ८०।। अर्थ-भगवान जिनेन्द्रदेव ने आकाश के दो भेद बतलाये हैं एक लोकाकाश और दूसरा अलोकाकाश । यह आकाश समस्त पदार्थों को जगह देता है । तथा यह आकाश अखंड द्रव्य है । जितने आकाशमें जोव पुद्गल धर्म अधर्म और काल रहता है उतने आकाश को लोकाफाश कहते हैं। उस लोकाकाश के बाहर सब ओर जो एक महान् और अनंत प्रदेशी आकाश है जिसमें अन्य कोई द्रष्य नहीं है और जो नित्य है उसको भगवान जिनेन्द्रदेव ने अलोकाकाश बतलाया है ॥७८.८७॥ व्यवहार काल का स्वरूपनवजीर्णादिभिः काल! परिवर्तनहेतुकृत् । जीवपुद्गलयोर्लोके व्यवहारोविनादिकः ॥१॥ अर्थ-काल द्रव्य नगीन पदार्थों को भी पुराना बना देता है और जिसप्रकार जीव पुद्गल प्रादि समस्त पदार्थोमें परिवर्तन करता रहता है । तथा लोकमें दिन रात घड़ी घंटा आदि के भेद से जो काल माना जाता है वह सब व्यगहार काल है ।।१।। निश्चय काल का स्वरूपलोकाकाशप्रवेशे यः पृथग्भूतोणसंचयः । स निश्चमाभिषः कासोरत्नराशिरिवोजितः ।।८२॥ ___ अर्थ-जिस प्रकार रत्नों को राशि पास पास जड़ी रहती है उसी प्रकार लोकाफाश के प्रत्येक प्रवेश पर जो अलग अलग काल के परमाणु विद्यमान हैं, उन कालारणों को निश्चय काल कहते हैं ।।२।। पांच अस्तिकाय द्रव्य के नामएतेत्र सह जीवेन षद्भध्याउदिताजिन: । कासवग्यं विनापंचास्तिकायाधीजिनागमे ।।८।। अर्थ- इसप्रकार पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल ये पांच अजीन के भेद बतलाये हैं उनमें जीम द्रव्य को मिला देने से भगवान जिनेन्द्रदेव ने छह नाम बतलाये हैं तथा काल द्रव्य को छोड़कर बाकी के पांच जैन शास्त्रों में अस्तिकाय बतलाये हैं ॥३॥
SR No.090288
Book TitleMulachar Pradip
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy