SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 479
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पार लगाती है ? पुण्यात्मा का पालन-पोषण उचित हे'कत्तच्च हैं, परन्तु क्या पापियों से भी प्यार करती है ? यदि नहीं तो इन्हें "इधी दाजो कुम्भ का सहारा ले धरती की प्रशंसा करते हैं | उस पार इनाना चाहते हैं. : ... इनकं पाप का कोई पार नहीं है, इनकं पुण्य से कोई प्यार नहीं हैं, इनकी निच बस्तु है, धन-वैभव-विषय-सम्पदाएँ फिर भी इन्हें सहयोग दोगी तुम्हारे उज्ज्वल इतिहास का उपहास होगा हास होगा विश्वास का फिर औरों की क्या बात, सबके जीवन पर प्रश्न-चिन लगेगा ही। वैसे सन्ताप ताप-शील वाली जलती, और जो ओरों को जलाती है अग्नि-देवता को भी काष्ट में कीलित किया है तुमने । पूक गाटी :: 157
SR No.090285
Book TitleMook Mati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyasagar Acharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy