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परन्तु, बाद की स्थिति
इससे विपरीत है। कुशल लेखक को भी, जो नई निबवाली
लेखनी ले लिखता है लेखन के आदि में
खुरदरापन ही
अनुभूत होता है
परन्तु, लिखते-लिखते
निब की घिसाई होती जाती
प्र
लेखन में पूर्व की अपेक्षा सफाई आती जाती फिर ता "लेखनी
विचारों की अनुचरा होती "
विचारों की सहचरा होती है; अन्त - अन्त में तो
जल में तैरती-सी
संवदेन करती है लेखनी । इसे यूँ कहें हम
यह सहज रीत ही है ।
यह लो !
क्या ?
मंगल घटना का संकेत "
21 मूकमाटी
होती