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________________ ची. पा . भव पापा का माय ! ... जरी डारी । जरा अपनों और भी दख तेरी वृति प्रति कैसी है ? तुझमें दूध भरने से धवला हो कटती है, तरी पारदर्शिता तय ... ... माँ अनी जाती । घुत भरने से तू पीनी हा लेती और इनु-रस कं यांग से हरी-भरी हो लसती है मरकन मणि की छवि लें । निर-निर चोग में हाव-भाव रंग-राग पल में पल लेती है तु, वासना से भरो अप्सरा-सी, बिक्रिया के बल पर क्रिया प्रतिक्रिया कर लेती है। इतना ही नहीं तर निफः पट हा पदार्थ का हो या पान हो शा मुलान नक गण-धर्म की जागलान कर लाना है नगे मामिलामा सोमा प.. 17 : AFपा
SR No.090285
Book TitleMook Mati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyasagar Acharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages510
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size4 MB
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