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समर्पण-भाव-समेत उसके सुखट चरणों में प्रणिपात करना है तुम्हें,
अपनी यात्रा का
सूत्र-पात करना है तुम्हें ! उसी के तत्वावधान में तुम्हारा अग्रिम जीवन स्वर्णिम बन दमकेगा। परिश्रम नहीं करना है तुम्हें परिश्रम वह करेगा: उसके उपाश्रम में उसकी सेवा-शिल्प-कला पर अविचल-चितवनदृष्टि-पात करना है तुम्हें,
अपनी यात्रा का
सूत्र-पात करना है तुम्हें ! अपने-अपने कारणों से सुसुप्त-शक्तियाँलहरों-सी व्यक्तियाँ, दिन-रात, बस ज्ञात करना है तुम्हें,
अपनी यात्रा का सूत्र-पात करना है तुम्हें !''
चिन्तन-चर्चा से दिन का समय किसी भांति कट गया परन्तु !
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भूक माटी :: 17
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