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चला-चपता पलायवाला .......... बनी हो बिजली": इस दुर्घटना को देख,
"तुरन्त, सागर से पुनः सूचना मिलती है भयभीत बादलों को, कि । इन्द्र ने अमोघ अस्त्र चलाया तो तुम
रामबाण से काम लो ! पीछे हटने का मत नाम लो ईंट का जवाब पत्थर से दो! विलम्ब नहीं, अविलम्ब ओला-वृष्टि करो"उपलवर्षा! लो, फिर से बादलों में स्फूर्ति आई स्वाभिमान सचेत हुआ ओलों का उत्पादन प्रारम्भ ! सो"ऐसा लग रहा है उत्पादन नहीं, उद्घाटन - अनावरण हुआ है अपार भण्डार का कहीं !
लघु-गुरु अणु-महा त्रिकोण-चतुष्कोण वाले तथा पंच पहलू वाले भिन्न-भिन्न आकार वाले भिन्न-भिन्न भार वाले गोल-गोल सुडौल ओले क्या कहे, क्या बोले, जहाँ देखें वहाँ ओले सौर-मण्डल भर गया :
248 : मूक माटी