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उस स
. . . .: ..:.:::. :: .. किस तरह
अतिशय बता दूँ परिचय-पता दूँ तुम्हें !
जिन आँखों में काजल-काली करुणाई वह छलक आई है, कुछ सिखा रही हैचेतन की तुम पहचान करो"! जिन अधरों में प्रांजल लाली अरुणाई वह झलक आई है, कुछ दिला रही है.. समता का नित अनुपान करो, जिन गालों में मांसल बाली तरुणाई वह ढुलक आई है, कुछ बता रही हैसमुचित बल का
बलिदान करो! जिन बालों में अलि-गुण हरिणी कुटिलाई यह भणक आई है कुछ सुना रहीं है
128 :: मूक माटी