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एक में विराग है अनघ त्याग है जिसका फल पार मिलता है।
एक औरों का दम लेता है बदले में
मद भर देता है,
एक औरों में दम भर देता हैं तत्काल फिर
निर्मद कर देता है ।
102 : मूक माटी
दम सुख हैं, सुख का स्रोत भद दुःख है, सुख की मौत ! तथापि
यह कैसी विडम्बना है,
कि
सब के मुख से फूलों की ही प्रशंसा की जाती है,
और
शूलों की हिंसा की जाती हैं
यह क्या
सत्य पर आक्रमण नहीं है?
पश्चिमी सभ्यता
आक्रमण की निषेधिका नहीं है अपितु !
आक्रमण - शीता गरीयसी हैं जिसकी आँखों में
विनाश की लीला विभीषिका घूरती रहती है सदा सदोदिता
और
महामना जिस ओर अभिनिष्क्रमण कर गये