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मृदु-पूर होता है। कलि की आँखों में भ्रान्ति का तामस ही महराता है सदा
और
सत की आँखों में शान्ति का मानस ही लहराता हैं सदा ।
एक की दृष्टि व्यष्टि की ओर भाग रही है, एक की दृष्टि समष्टि की ओर जाग रही है, एक की सृष्टि चला-चपला है एक की सृष्टि
कला-अचला है एक का जीवन मृतक-सा लगता है कान्तिमुक्त शब है, एक का जीवन अमृत-सा लगता है कान्तियुक्त शिव है। शव में आग लगाना होगा,
और शिव में राग जगाना होगा। समझी बात, बेटा!"
SA:: मूक माटी