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गाथा १९९१ तथा गाथा १९९२ में बतायी गयी विधि का मरणकंडिका में उल्लेख नहीं है, बल्कि इन दो गाथाओं पर इलोक रचना हो नहीं है । अस्तु ।
इस ग्रंथ में आगत विविध छन्दों के न म एव लक्षण इसप्रकार हैं
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इन्द्रवा - ११ अक्षर
उपेन्द्रवजा - ११ अक्षर
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उपेन्द्रवज्रा प्र थ मे ल घोसा
उपजाति -- इन्द्रवचा और उपेन्द्रवज्रा का मिला हुआ लक्षण जिसमें हो वह उपजाति कहलाती है। तथा किसी समान प्रक्षर वाले दो छन्दों का मिला लक्षण जिस श्लोक में हो वह उपजाति है । जैसे वंशस्थ और इन्द्रवंशा का मिला लक्षण भी उपजाति है ।
शालिनी -- ११ अक्षर
अनुकुला - ११ अक्षर
रथोद्धता - ११ अक्षर
स्वागता -- ११ पर
दोधक - ११ अक्षर
श्येनी
- ११ अक्षर
वंशस्थ - १२ अक्षर
सोटक
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- १२ प्रक्षर
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वद तो ट क म ब्धि स का रघु तम् भुजंगप्रयात - १२ अक्षर । 5 S 1 5 भुजंगप्रयातं च तु भि यं का रेंः
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