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________________ पृष्ठ ६०६-६२५ ६०६-६१२ ६१६-६२१ ६२२ ६२२-६२३ ६२३-६२४ [ ३४ ] विषय श्लोक १०. अयोचार भक्त त्याग इंगिनो प्रायोपगम अधिकार २०८४-२१४६ प्रबोचार भक्त त्याम के तीन भेद, विरुद्ध, विरुद्धतर और विरुद्धतम २०८५-२१०१ इंगिनीमरा २१०२-२१३३ प्रायोपगमनमरण २१३४-२१४३ धर्मसिंह मुनि को कथा २१४५ वृषभसेन मुनि की कथा यतिवृषभ आचार्य की कथा २१४७ शकटाल मुनि को कथा २१४८ ११. बालपंडित मरणाधिकार २१५०-२१५६ १२. पंडित पडित मरणाधिकार २१६०-२२३५ यह मरण चौदहवें गुणस्थान में होता है क्षायिक सम्यक्त्व, क्षपक थे रिण प्रादि का कथन २१६५-२१७४ केवली समुद्घात २१८२-२१८५ अघातियाकर्म नाश २१५१-२१६९ सिद्धों का निवास, सिद्धों का सुख २२०७-२२२९ आराधना स्तवन नक्षत्र वर्णन ग्रथ कर्ता को प्रशस्ति अनुवादिका को प्रशस्ति ग्रंथ के श्लोकों का वर्णानुक्रम शुद्धि पत्र ६२६-६२८ ६२६-६४६ ६३८-६४० ६४२-६४४ ६५०-६५९ ६६०-६६३ ६६४-६६६ ६६९-७०६ ७१०
SR No.090280
Book TitleMarankandika
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
AuthorJinmati Mata
PublisherNandlal Mangilal Jain Nagaland
Publication Year
Total Pages749
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
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