SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सल्लेखनादि अधिकार बाह्येन तपसा सर्वा निरस्ताः सुखवासनाः । सम्यक् तनूकृतो देहः स्वः संवेगेऽधिरोपितः ॥ २४६ ॥ संतोन्द्रियाणि दांतानि स्पृष्टा योग समाधयः । जोबिताशा परिद्धिना, बलवीर्यमगोपितम् ॥२४७॥ रसदेहसुखानास्था जायते दुःखभावना | प्रमद्दनं कषायाणामिन्द्रियार्थेष्वनावरः || २४६ || श्राहारखवंता दांति समस्ता त्यागयोग्यता | गोपनं ब्रह्मचर्यस्य लाभालाभसमानता ॥ २४६ ॥ निद्रागृद्धि मदस्नेहलोभ मोह पराजयः । ध्यानस्वाध्याययोर्वा द्धिः सुखदुःख समानता ॥ २५० ॥ ↑ श्रात्मा प्रवचनं संघः कुलं भवति शोभनं । समस्तं त्यक्त मालस्यं कल्मषं विनिवारितम् ।। २५१ ।। [ 3 बाह्य तप द्वारा सर्व सुखीपना निरस्त हो जाता है, शरीर भली प्रकार कृश हो जाता है और अपने आत्मा को संसार भीरुतारूप संवेग में स्थापित किया जाता है ।। २४६ ।। बाह्य तप द्वारा इन्द्रियाँ वश होती हैं योग और समाधि अर्थात् रत्नत्रय में एकाग्रता प्राप्त होती है, जीवन को आशा नष्ट होतो है और बलवीर्य प्रगट होता है। ॥२४७॥ मधुर श्रादि रसोंमें और शरीर सुखों में आस्था नहीं रहती, दुःख सहने की भावना होती है । कषायोंका मर्दन होता है, इन्द्रियोंके विषयों में अनादर हो जाता है || २४८|| तथा आहार की वांछा नष्ट होती है, सब प्रकार को इच्छा का दमन होता समस्त आहारों को हमेशा के लिये समाधि के समय त्याग करना पड़ता है उस समस्त आहार को यावज्जीव त्याग करने की योग्यता अनशन आदि तप से आती है, ब्रह्मचर्य को रक्षा होती है और लाभ तथा अलाभ दोनों में समभाव प्राप्त होता है ॥ २४९ ॥ निद्रा, लालसा, गर्व, स्नेह, लोभ, मोह इन सबका पराजय कर लेता है जो कि बाह्य तपको तपता है । ध्यान और स्वाध्याय में वृद्धि का होना और सुख दुःख दोनों में समान भाव बने रहना यह गुण भी तपश्चरण द्वारा हो प्राप्त होता है ।। २५० ।। अपनो आत्मा, अपना वंश, अपना संघ, और जिनमत इन सबकी शोभा का कारण तप है, तपस्वी के समस्त आलस छूट जाते हैं और पापका निरोध होता है ।। २५१ ।।
SR No.090280
Book TitleMarankandika
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
AuthorJinmati Mata
PublisherNandlal Mangilal Jain Nagaland
Publication Year
Total Pages749
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy