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________________ .१३. * मौलिक रचनाएँ : १. श्रुतनिकुंज के किंचित् प्रसून २. गुरु गौरव ३. श्रावक सोपान और बारह भावना ४. आनन्द की पद्धति अहिंसा ५. निर्माल्य ग्रहण पाप है प्रश्नोत्तर लेखन : १. धर्मप्रवेशिका प्रश्नोत्तर माला २. धर्मोद्योत प्रश्नोत्तर माला ३. छहढाला ४. इष्टोपदेश ५. स्वरूपसम्बोधनपंचविंशति * संकलन-सम्पादन : १. वत्थुविज्जा (प्रथम खण्ड-गृहशिल्प) २. वत्थुविज्जा (द्वितीय खण्ड-मन्दिरशिल्प) ३. श्रमणचर्या ४. समाधिदीपक ५. दीपावली पूजनविधि ६. श्रावक सुमन संचय ७. स्तोत्र संग्रह ८. श्रावक सोपान ९. आर्यिका आर्यिका है १०. संस्कार ज्योति ११. पाक्षिक श्रावक प्रतिक्रमण सामायिक विधि १२. वृहद् सामायिक पाठ एवं व्रती श्रावक प्रतिक्रमण १३. आचार्य शान्तिसागरजी महाराज का संक्षिप्त जीवनवृत्त १४. रात्रिक/देवसिक प्रतिक्रमण (अन्वयार्थसहित) १५. पाक्षिकादि प्रतिक्रमण (अन्वयार्थसहित) १६. वास्तुविज्ञान परिचय १७. नित्यनियमपूजा एवं दीपावली पूजन १८. शान्तिधर्मप्रदीप अपरनाम दानविचार १९. नारी बनो सदाचारी २०. महावीरकीर्ति स्मृति ग्रन्थ : एक अनशीलन २१. ऐसे थे चारित्र चक्रवर्ती २२. चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शान्तिसागर चरित्र आपने दीक्षा वर्ष १९६४ में पपौरा, बाद में क्रमश: श्रीमहावीरजी, कोटा, उदयपुर, परतापगढ़, टोडारायसिंह, भीण्डर, उदयपुर, अजमेर, निवाई, रैनवाल, सवाईमाधोपुर, सीकर, रैनवाल, निवाई, निवाई, टोडारायसिंह, उदयपुर, उदयपुर, उदयपुर, भीण्डर, उदयपुर, कूण, भीलवाड़ा, उदयपुर, भीण्डर, पारसोला, अडिन्दा पार्श्वनाथ, फलासिया, ईडर, रामगढ़, गनोड़ा, गींगला, नन्दनवन, मुंगाणा, नन्दनवन, नन्दनवन और २००१ में पुन: नन्दनवन में वर्षायोग स्थापित किया । टोडारायसिंह, उदयपुर, भीण्डर, निवाई, रैनवाल, नन्दनवन में आपके क्रमशः २, ६, ३, ३, २, ४ बार चातुर्मास हुए | सर्वत्र आपने महती धर्मप्रभावना की और श्रावकों को सन्मार्ग में प्रवृत्त किया। श्री शान्तिवीर गुरुकुल जोबनेर को स्थायित्व प्रदान करने के लिए आपकी प्रेरणा से
SR No.090279
Book TitleMarankandika
Original Sutra AuthorAmitgati Acharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherShrutoday Trust Udaipur
Publication Year
Total Pages684
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size16 MB
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