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महाकइपुष्फयंतविरयउ महापुराणु भणइ जणि ण दुआलिहि धयउ पुत्तु ण रक्खसु कुच्छिहि जायउ। किह वलदु मोडिउ ओत्थरियउ दइववसें सिसु सई उव्वरियउ। हरिखरवसहहिं सह सउ जुज्झइ जणु जोवइ महु हियवउं डज्झइ। केत्तिउं मई कुमार संतायहि आउ जाहु घरु बोल्लिउं भावहि। तेयवंतु तुहं पुत्त णिरुत्तर रक्खहि अप्पाणउं करि वुत्तउं । परमहि भडकोडिहि आरूढउ बाहुबलेण बालु जणि रूढउ। महुरापुरि घरि घरि वणिज्जइ गंदगोट्टि पत्थिबहु कहिज्जइ। तहु देवइमायरि उक्कठिय पुत्तसिणेहें' खणु वि ण संठिय। गोमुहकूबउ'" सहउ वउत्थी लोयहु मिसु मंडिवि वीसत्यी। चलिय गंदगोउलि" सहुँ गाहें सहुं रोहिणिसुएण चंदाहें। घत्ता-मायइ महुमहणु बहुगोवहं मज्झि णिरिक्खिउ । बयपरिवेढियउ कलहंसु जेम ओलक्खिउ ||13||
( 14 ) दुवई-हरि मुयजुवलदलियदाणवबलु' णवजोव्वणविराइओं ।
उग्गयपउरपुलय पडहच्छे वसुएवेण जोइओ ॥ छ ।
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तू पुत्र नहीं, राक्षस है जो मेरी कोख से जन्मा है। आते और क्रुद्ध होते हुए बैल को तूने क्यों मोड़ा ? दैव के अधीन बालक स्वयं बच गया। वह (मेरा लाल) घोड़ा, गधा और बैल से स्वयं लड़ता है। लोग तमाशा देखते रहते हैं। उससे मेरा जी जलता है। हे कुमार ! तू मुझे कितना सताएगा ? आओ घर चलें, मेरी बात मान । हे पुत्र ! तुम निश्चित ही तेजस्वी हो। अपनी रक्षा करो, मेरा कहा मानो। तुम श्रेष्ठ करोड़ों योद्धाओं में प्रसिद्ध और बाहुबल के कारण लोगों में बाल नाम से प्रसिद्ध हो। मथुरापुरी के घर-घर और नन्द गोष्ठी में तुम्हारा वर्णन किया जाता है। राजा से भी कहा जाता है (तुम्हारे विषय में)। उसकी देवकी माता भी उत्कण्ठित हो जाती है, पुत्र के स्नेह के कारण एक क्षण भी ठहर नहीं पाती। व्रत में स्थित गोमुखकूप व्रत करती हुई लोगों से वहाना बनाती हुई, विश्वस्त होकर अपने स्वामी (वसुदेव) और चन्द्रमा के समान बलराम के साथ वह नन्द-गोकुल के लिए चली।
घत्ता-माता ने बहुत से ग्वाल-बालों के बीच कृष्ण को इस प्रकार देखा, जैसे वगुलों से घिरा हुआ कलहंस हो ।
अपने भुजवल से दानव-दल का दलन करनेवाले, नवचौवन से शोभित और अत्यन्त रोमांचित हरि को वसुदेव ने शीघ्र ही देखा। बलराम ने शिशुक्रीडा की धूलि से धूसरित अपने भाई का दृष्टि से ही आलिंगन
(13)!.A ग अलिहि णो घाय। 2. | वनइह, बलद्ध। 3. Pमोडिय उत्या । 1. PS इयर' | B.AS जोयद P जीयउ। क. म जाहं धारे। 1.Al3Pld atter Rh : कंस्तु गा जाणइ कि मणिमूटर Kgives it but scores it oft; BP add funher जयसिरिमाणणु (B माणि ) जायउ पोढछ। H. त्तसहें। 9. AP का मिण संठिय। 10. गोमुहं कु वि वउ; 5 गोमुह कूबउ। 1. APS परेउलु ।
(14) 1. AS "जुबान । 2. जोघण। 3. वसुदेवेण।