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महाकइपुष्फयतविरया महापुराणु
[84.14.11
यत्ता-सुय मारिवि दुज्जणा धीरिवि णाह म हियवउं सल्लाह । हो णेहें हो महु गेहें लेमि" दिक्ख" मोक्कल्लहि ।।14 ।।
( 15 ) 'परताडणु पाडणु' दुण्णिरिक्रतु किह पेक्खमि डिंभहं तणउं दुक्खु । मई मेल्लाह' सामिय मुयाम संगु जिणसिक्खइ भिक्खई खवमि अंगु। वसुएउ भणइ हलि गुणमहति गयी मज्झु तुहारी णिसुणि कति। जइ सिस एयह मारह ण देमि तो हठे असच्च जणमज्झि होमि। हम्मतउ बालं सलोयणेहि किह जोएसमि दुहभायणेहि। सलिलंजलि 'रयरससुहहु देहं तवचरणु पहायही बे वि लेहुँ। दइयबसें दइयादइयएहिं
अम्हई दोहिं मि "पावइयएहिं। 1"णउ पुत्तुप्पत्ति ण तासु भंसु मारेसई पच्छइ काई कंसु। इय ताई वियप्पिवि थियई जांव बीयइ दिणि सो रिसि टुक्कु तांव। णियचित्ति संख मुणि परिगणंतु बलएक्जणणभवणंगणंतु। । बहुवारहिं 'मुक्क णमोत्थुवाय पडिगाहिउ जइवरू धोय पाय। अँजिवि भोयणु तवपुण्णवंतु मुणिवरु णिसण्णु आसीस देंतु।
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यत्ता-अपने बच्चों को मारकर और दुर्जन को सान्त्वना देकर हे स्वामी ! आपका हृदय पीड़ित नहीं होता हो, तो इस प्रेम से और इस घर से क्या ? मुझे छोड़ दो। मैं दीक्षा ले लूँगी।
(15) दूसरे के द्वारा पीटा जाना और मारा जाना अत्यन्त दुर्निरीक्ष्य (कठिनाई से देखने योग्य) होता है। मैं कैसे अपने बच्चों का दुःख देख सकूँगी ? हे स्वामी ! मुझे छोड़िए। मैं तुम्हारा साथ छोड़ती हूँ। मैं जिन-दीक्षा
और भिक्षा के द्वारा अपना शरीर गला दूंगी। तब वसुदेव ने कहा-गुणों से महान् हे कान्ते ! सुनो। जो तुम्हारी गति है वही मेरी। यदि इसे मैं पुत्र नहीं मारने दूंगा, तो लोगों के बीच झूठा कहा जाऊँगा और दुःख के भाजन अपने नेत्रों से मैं मरते हुए बच्चों को कैसे दे गा ? इसीलिए राज्य-सुख को जलांजलि देकर हम दोनों तपस्या ग्रहण कर लेंगे। भाग्य के वश से हम दोनों पति-पत्नी के दीक्षा ले लेने पर, न तो पुत्र की उत्पत्ति होगी और न नाश । तब बाद में कंस किसे मारेगा ? इस प्रकार सोचकर जब वे दोनों बैठे हुए थे, तो दूसरे दिन वे मुनि वहाँ पहुँचे। अपने मन में गृहों की संख्या को गिनते हुए बलदेव के पिता के भवन के आँगन में आते हुए उन्हें उन लोगों ने 'बारम्बार नमस्कार हो'-यह वचन कहा । मुनि को पड़गाहा तथा उनके पैर धोये, आहार लेने के पश्चात् पुण्यात्मा मुनिवर आशीर्वाद देकर बैठ गये।
10. A लेवि।।। दिल।
(15) 1.A सिजताउणं। ५.A H रहास | 8.1 तयरण। 9. पहार: 11. P विमुश्क। 15. णवपुण्णवंतु।
BP फाडण। ५. 18 पिक्तमि PS पेक्वमि। 4. B मिल्लिहि। E AP दिक्खा। एहो। 7. BPS पहावे bur gloss प्रभाते। 10. B पथ्यदयारहि। 11. Sण : A णियवित्तिसंख। 19. A बहुबरहि चि।