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महाकइपुप्फयंतविरयउ महापुराणु
पिउबंधणि चिरु पावइउ वीरु चरियइ पट्टु मुणि दिट्टु ताइ दक्खालिउ देवइपुष्पचीस जरसंध# कंस जस लंपडेण होसइ एउं जि तुह दुक्खहेउ
णिप्पिहु आमेल्लिवि णियसरीरु । मेहुणउ हसिउ जीवंजसाइ । जई जंपर जायकसायहीरु । मारेवा" एएं कप्पडेण ।
मा जंपहि अणिबद्ध ं अणेउ ।
पत्ता - हयसोत्तजं मुणिवरवुत्तरं णिसुणिवि कुसुमविलित्त ं । तं चीवरु सज्जगदिहिहरु मुद्धइ फाडिवि " घित्तरं । । 12 ।। ( 13 )
रिसि भासइ पुणु उज्झियसमंसु
ता चेलु ताइ पाएहिं कुण्णु तुह जणणु हणिवि रणि दढभुएण गउ जइबरु वासु विलासियासु पुच्छ्रिय पिएण किं मलिणवयण* ता सा पड़िजंप पुण्णजुत्तु णिहणेव्वउ तें तुहुं अवरु ताउ
कण्हें फाडेवउ' एम कंसु ।
पुणरवि मुणिणा पडिवयणु दिष्णु | भुंजेवी महि★ एयहि सुएण । जीवंजस गय भत्तारपासु । किं दीसहि रोसारत्तणयण । होसइ देवइयहि को वि पुत्तु । महिमंडलि होसइ सो ज्जि राउ
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निस्पृह होकर, अपने शरीर की आशा छोड़कर संन्यासी हो गया। वह मुनिचर्या में प्रवृत्त हुआ। कंस की पत्नी जीवंजसा ने देवर अतिमुक्तक का मजाक उड़ाया। उसने उसे देवकी का रजोवस्त्र दिखाया, जिससे क्रोध कषाय उत्पन्न हो गयी। मुनि ने कहा कि यश के लम्पट जरासन्ध और कंस इसी कपड़े के द्वारा मारे जाएँगे। यह तुम्हारे दुःख का कारण होगा। इसलिए तुम अज्ञेय (अज्ञात) और अनिबद्ध (असम्बद्ध) शब्दों को मत कहो ।
घत्ता - कानों को आहत करनेवाले मुनिवर के वचन को सुनकर उस मूर्ख जीवंजसा ने रजोधर्म के खून से सने हुए तथा सज्जनों की दृष्टि का हरण करनेवाले उस वस्त्र को फाड़कर फेंक दिया।
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उपशमभाव को छोड़ देनेवाले मुनि ने फिर कहा - इसी प्रकार कृष्ण के द्वारा कंस चीरा जाएगा। फिर उस वस्त्र को उसने पैरों से खण्डित कर दिया। तब मुनि ने फिर प्रत्युत्तर दिया कि इसका दृढ़ बाहुबाला पुत्र युद्ध में तुम्हारे पिता को मारकर धरती का भोग करेगा। वह कहकर मुनि चल दिये। बढ़ी हुई इच्छावाली जीवंजसा भी अपने पति के पास गयी। पति ने पूछा कि तुम्हारा मुख मैला क्यों हैं ? क्रोध से आँखें लाल क्यों दिखाई दे रही हैं ? तब वह प्रत्युत्तर देती है- देवकी का कोई पुण्य से युक्त पुत्र होगा। उसके द्वारा तुम और तुम्हारे पिता मारे जाएँगे और इस धरती - मण्डल का वही राजा होगा ।
7. BPS धोरु & APS आमेल्लिय । . 4 जरसिंघ जरसेंध 10 A मारेच्या 11. S फालिविं
(13) L. PS कालेयउ। 2. P चुष्णु। 3. P पुर्तये । 4.5 भुजेयि नहीं । 5. AP विणासिसु । 6. P मलियवयण । 7. A सा पडिजंप तुह पुण्णजंतु ।
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