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________________ 46 ] [83.10.1 महाकइपुप्फयंतविरयउ महापुराणु (10) सीयलसगाहगयथाहसलिलालि कंजरसलालसचलालिकुलकालि। मत्तजलहत्यिकरभीयझसमालि भ्वारिपेरंतसोहंतणवणालि। मंदमयरंदलवपिंजरियवरकूलि तीरवणमहिसढुक्कंतसदूलि। एंकपल्हायलोसंतचरको. कोरकारंडकलरावहलबोलि। कंकचलचंचुपरिउबियबिसंसि लच्छिणेउरखुडवियकलहसि। अक्करहदसणपओसियरहगि वायहयवेविरपघोलियतरंगि। ण्हतवियरंतविहसंतसुरसत्यि एंतजलमाणुसविसेसहयहत्थि' । यत्ता-करि "सरवरि कीलंतु तेण णिहालिउ मत्तउ। णावइ मेरुगिरिदु खीरसमुद्दि णिहित्तउ ॥10॥ (u) अंजणणीलु णाई' अहिणवघणु करतुसारसीयरतिम्मियवणु। दसणपहरणिद्दलियसिलायलु पायणिवाओणवियइलायलु। (10) (उसने सरोवर देखा) जो शीतल, जलचरों और अथाह जल और भ्रमरों से सहित था, जो कमलों के रस की लालसा से चंचल भ्रमर-समूह से काला हो रहा था, जिसमें मतवाले गजों की सैंडों से मत्स्वकुल भयभीत था, जिसमें जलपर्यन्त नवमृणाल शोभित थे, जिसके किनारे नव मकरन्द कणों से पीले हो रहे थे, जिसके किनारों के वनों में सिंह मैंसों पर झपट रहे हैं, जहाँ कीचड़ में पड़े हुए सुअर लोटपोट रहे थे, जहाँ तोतों तथा हंसों के कलरव का कोलाहल हो रहा था, जहाँ हंसों की चंचल चोंचों से कमलिनी-खण्ड चूमे जा रहे थे, जहाँ लक्ष्मी के नूपुरों की आवाज से सुन्दर हंस उड़ रहे थे, जहाँ सूर्य का रथ देख लेने पर चकवा पक्षी सन्तुष्ट हो रहे थे, पवन से आहत काँपती हुई लहरें जिसमें आन्दोलित हो रही थीं, जिसमें देवसमूह नहाता, विचरता और हँसता हुआ था, जिसमें आते हुए जलमानुष, विशेष हय और गज दिखाई दे रहे थे, ऐसे___ धत्ता-उस सरोवर में उसने खेलते हुए हार्थी को देखा, मानो क्षीरसमुद्र में सुमेरुपर्वत को फेंक दिया गया हो। जो अंजन के समान नीला और अभिनव मेघ के समान था, सैंड के जलकणों से उसने वनभूमि आर्द्र कर दी थी, दाँतों के आघात से शिलातल को चूर-चूर कर दिया था, पैरों के निपात से जिसने भूमि को ष्ट्रीण। B. S"पओसविय। 7. (10) 1. AP कंहस्पलालसा | 2. AP add यर before वारि। 3. Ds omit लव। 4. AP वणकोले। 5. A ABPS पोलिर"| S. A गिण्हत 19. A "वेसे हयहत्थे। 10. सरि। (11) 1. H णामि। 2. A "णिवाएं णमिय: । पणियायए णयिय" -णियारणविय"।
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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