________________
83:6.3]
महाकइपुष्फपतविरयड महापुराणु
[41
वसावीसढं देहिदेहावसाणं पविट्ठो असाणं ससाणं' मसाणं । कुमारेण तं तेण दिटुं रउदं ललंततमालं' सिवामुक्कसह । महासूलभिण्णंगकदंतचोरं वियंभंतमज्जारघोसेण घोरं। विहंडतवीरेसहुंकारफार
पलिप्पंतसत्तच्चिधूमधयारं। 'णहुड्डीणभूलीणकीलाउलूयं समुटुंतणग्गुग्गवेयालरूयं । 1"नृकंकालवीणासमालत्तगयं" दिसाडाइणीदुग्गखज्जतपेयं । "कुलुब्भूयसिद्धतमग्गावयारं दिजीडोंबिचंडालिपेयाहियारं । घणं णिग्धिणं भासियद्दइयवायं सया जोइणीचक्ककीलाणुरायं। धत्ता-अकुलकुलह संजोए कुलसरीरु' उवलक्खियउँ” । इय जहिं सीसहं तच्चु कउलायरिएं। 20अक्खियां ॥5॥
(6) जोइउ तहिं बम्महसोहालें डझंतर मडउल्लङ बालें। तहु उप्परि आहरणई वित्त . रयणकिणनिरिगतितिलाई .
लिहिवि मरणवत्ताइ विसुद्धउँ हरिगलकंदलि' पत्तु णिबद्ध। देता था, वह घर के बाहर चला गया और वसा से बीभत्स, शरीरधारियों के शरीरों का अन्त करनेवाले, शब्दशून्य और कुत्तों से भरे हुए मरघट में पहुँचा। उस कुमार ने मरघट देखा, जिसमें आँतों की मालाएँ
रही थीं, सियारनों के शब्द गूंज रहे थे, महाशूलों से विदीर्ण-शरीर चोर चिल्ला रहे थे, फैलते हुए बिलावों से जो भयंकर था। न
। नष्ट होते हुए वीरेश मन्त्रसाधकों से जो भयानक था, प्रज्वलित अग्नियों के धुएँ से जो अन्धकारमय था, जिसमें आकाश में उड़ते हुए और धरती में लीन उल्लू दिखाई दे रहे थे, जिसमें नग्न और उग्र वैताल रूप दिखाई दे रहे थे, मनुष्यों की हड्डियों की वीणाओं से गीत प्रारम्भ किये जा रहे थे, जहाँ दिशारूपी डाइनों के दुर्गों में प्रेत खाये जा रहे थे, जिसमें कौलिक के द्वारा कथित सिद्धान्त मार्ग की अवतारणा हो रही थी. जिस मागी में ब्राणियों. डोबनियों और चण्डालिनियों को मद्य का अधिकार है तथा सघन और निर्दय द्वैतवाद का जिसमें कथन किया जा रहा था।
घत्ता-अकुल (अप, तेज और वायु के संयोग से उत्पन्न चैतन्य शरीर) और कुल (पृथ्वी आदि द्रव्य) के संयोग से शरीर विश्लेषित किया जाता है। इस प्रकार जहाँ कौलाचार्यों के द्वारा शिष्यों के लिए तत्त्वों का व्याख्यान किया जा रहा है।
झलर
वहाँ कामदेव की तरह सुकुमार उस बालक (कुमार) ने एक शव को जलते हुए देखा। उसके ऊपर उसने रत्नकिरणों से चमकते और विचित्र आभूषण रख दिये और अपनी मरणवार्ता लिखकर, विशुद्ध पत्र घोड़े के
1. sonits ससाणं। 5. B पाला । 6. विहिंडत"17. A "वीणचूलीण। 8. Bउलूब 5 "उलीयं। 9. A "रूवं। 10. ABP णिकंकाल । 11. Bगी। 12. B कुलुज्यूय: Als. कुलुज्याय" on the strength of gloss in B: कुलाचार्यप्रणीतसिद्धान्तमार्गावतारम्। 13. A दिजिप्पाविचंडालपीयाहियारं। 14. A भासियं दइययायं। 15. A अकुलु । 16. P कुलु । 17. APS लक्खिउं। BAP सीसहि। 9. P कपलाइरिय: । काउलाझरेयहिं । 20.A रक्खिड; PS अक्खिन ।
(6). Bघेत्तई। 2. PS "विप्फुरण"।