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102.13.6]
महाकइपुयंता वेरयउ महापुराणु
एम्व महापुराणु भई सिङउं । बुद्धिविहीणें जं मई साहिउं । अरुहुग्गय" सुयएवि भडारी । देंतु समाहि बोहि तित्यंकर ।
घत्ता- दुहुं छिंदउ गंदउ भुयणयति णिरुवमु कण्णरसायणु । आयण्णउ मण्णउ ताम जणु जाम चंदु तारायणु ।।12।। ( 13 )
कम्मक्खचकारण गणिदिउं एत्थु जिविंदमग्गि ऊणाहिजं तं महु खमहु तिलोयहु सारी चवीस वि महुं कलुसखयंकर
बरिसउ मेहजाल वसुहारहिं दउ सासणु वीरजिणेसहु
लगउ हवणारंभ सुरबई दउ देसु सुहिक्खु वियंभउ पडिवण्णियपरिपालणसूरहु' होउ संति बहुगुणगणवंतहं
महि पिच्चउ' बहुधण्णपयारहिं । सेणिउ णिग्गउ णरयणिवासहु । नंदउ पय सुहुंर णंदउ णरवइ । जणमिच्छत्तु दुचित्तु णिसुंभउ । होउ संति भरह 'वरवीरहु । संतहं दयवंतहं भयवंत ।
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कर्मक्षय का कारण, गणधरों के द्वारा उपदिष्ट, इस महापुराण की मैंने रचना की है। यहाँ जिनेन्द्रमार्ग में, मुझ बुद्धिविहीन ने हीनाधिक जो कुछ कहा है, उसे अरहन्त भगवान से उत्पन्न आदरणीय सरस्वती क्षमा करें। कलुष का नाश करनेवाले चौबीसों तीर्थंकर मुझे समाधि और ज्ञान प्रदान करें।
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घता - यह महापुराण दुःख दूर करे, भुवनतल पर प्रसन्नता का प्रसार हो, अनुपम कर्ण-रसायन को लोग तब तक सुनें और भानें, जब तक चन्द्रमा और तारागण हैं।
तासु जि पुत्तहो सिरिदेयिल्लाहो ।
जें पपव्यउ सयले धरायले ।
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अनेक धाराओं से मेघ की वर्षा हो, बहुत प्रकार के धान्य से यह धरती पकती रहे। वीरजिनेन्द्र का शासन नन्दित हो । राजा श्रेणिक नरक निवास से निकलें, जलाभिषेक के प्रारम्भ में इन्द्र लगें। प्रजा सुख से प्रसन्न रहे, राजा प्रसन्न रहे । देश प्रसन्न रहे, सुभिक्ष बढ़ता रहे, लोगों का मिध्यात्व और हृदय की दुष्टता नष्ट हो । अपनी स्वीकृतियों का प्रतिपालन करते हुए वह वीर भरत (मन्त्री) को शान्ति हो । अनेक गुणसमूह से युक्त, दया से सहित और भय का नाश करनेवाले सन्तों को शान्ति प्राप्त हो । सज्जनों को शान्ति प्राप्त
भर परमसभावसुमित्तहो ।
होउ सति णिरु णिरुयमचरियहो । कुलबलवच्छल (A कुलवच्छल सामत्यमर्हतहो । होउ संति सोहणगुणवम्मट (A धम्महो।
18. A अरुहंगय |
(13) 1. A पच्चउ । बहुधणकणभारहिं । 2. A सुहि 13. A जणु मिच्छत्तदुचित्तु णिसुंम Pomits जण । 4. AP पडियण्णए 5. AF गिरिधीरहो । 6. A omits this line. 7. AP add after this:
होउ साँस बहुगुणहिं महत्सहो एवं महापुराणु रयणुज्जले विदाज्जयकपचित्तहो भोगल्लहो जयजसवित्थरियहो होउ साँते णष्णही गुणवंतडो णिच्चमेव पालियजिणधम्म (A धम्महो)