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________________ 400 ] महाकइपुप्फयंतविरयउ महापुराणु णरणा सयहिं सायरेहिं आणिउ पुरु पइसारिउ णिवासि ताडियतूरहिं मंगलसरेहिं । हिमकुंदचंदगोखीरभासि । घत्ता - ढोएवि कुमारु सयणहुं सूरपयासें । गय बेणि वि जक्ख सहसा विमलायासें ॥13॥ ( 14 ) पीइंकरु' जयमंगलरवेण पइसारिउ पुरवरु राणएण वरणहिं दियहि कुमारमाय णियसुहहि भूसणु देहुं चलिय णियभूसासंदोहउ जणासु महुं भूसणाई इय बज्जरेवि विउसेहिं पलक्खिय' णउ पिसाइ सुहलक्खणलक्खियदिव्वदेह को लंघइ चिह्निबद्धउ सणेहु तावि तहु पेसिउ गूढलेहु गंभीरभेरिसद्दुच्छलेण । पुज्जिउ रयणहिं बहुजाणएण । रहवरि आरूढी दिष्णछाय । पियमित्त' पंथि मूईइ खलिय । दावइ सणइ विभियमणासु । थिय सुंदरि पहि रहघुर धरेवि । अंगुलियई दावइ सच्चमूइ । आहरणु महारउं भणइ एह । अप्पाहिय कुमरें रायगेहु । जं णावदत्तविलसिउ दुमेह | [101.13.16 5 (14) 1 P पीरू 2 AP धगमित्त 3. A भूषण । 4. A उयसक्खिय: P लक्खिय। 5. AP सब्बु मूह | 10 हुए नगाड़ों और मंगल स्वरों के साथ उसे नगर में ले आये तथा हिम चन्द्रकिरण और दूध के समान कान्तिवाले निवास में उसे प्रवेश कराया। घत्ता - कुमार को स्वजनों के पास पहुँचाकर, वे दोनों यक्ष सूर्य से प्रकाशित आकाश मार्ग से सहसा चले गये । (14) जयमंगल ध्वनि और गम्भीर भेरी के उछलते हुए शब्द के साथ राजा के द्वारा प्रीतिंकर को नगर में प्रवेश कराया गया। अनेक रत्नों और यानों से उसकी पूजा की गयी। दूसरे दिन आभा से दीप्त कुमार की माँ (बड़ी माँ) श्रेष्ठ रथ पर आरूढ़ हो गयी और अपनी बहू के लिए आभूषण देने के लिए चली। लेकिन रास्ते में गूँगी ने उसे रोक लिया। विस्मितमन लोगों के लिए उसने संकेत से अपने आभूषणों का पिटारा बताया । 'ये मेरे आभूषण हैं' - यह संकेत कर और रथ की धुरा पकड़कर वह सुन्दरी रास्ते में खड़ी हो गयी। विद्वानों ने लक्षित किया कि यह पिशाची नहीं है, यह सचमुच गूँगी है और अँगुलियाँ दिखाती है। शुभ लक्षणों से लक्षित शरीरवाली यह कहती है कि आभूषण हमारे हैं। विधाता के द्वारा बद्ध स्नेह का कौन उल्लंघन कर सकता है ? कुमार ने राजगृह को सिखा दिया। उसने भी उसके लिए गूढ़ लेख भेजा, जिसमें नागमणि की दुष्ट मति का उल्लेख था । वह कुमारी राजभवन ले जाई गयी । अत्यन्त विलक्षण न्यायकर्ता
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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