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महाकइपुष्फयतविस्यउ महापुराणु
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पाविटुहिं पासई 'घल्लियग्गि । मय पक्खिणि दइयहु विविहभंगि। आवेप्पिणु मंदिरु अक्खरेहि चंचूलिहिएहिं मणोहरेहि। अक्खिा पखि गइवेय मुड़य सा एह ताय तुह दुहिय हुइय । सिरिचंद णाम सुय' सुंदरीहिं भासिउ पियरह बिबाहरीहिं। पारावयमिहुणालोयणेण
मुच्छिय णियजम्मणजाणणेण। यत्ता-तं णिसुणिवि वइयरु पक्खिभवंतरु लिहियउ तेहि पडतरि । अप्पिङ ससुहेल्लिहि वप्महवेल्लिहि रंगतेयणडणडिकरि ॥12॥
( 13 ) पडु उववणि णिहियउ रसविसर्दु दोहिं मि णडेहिं पारद्ध णटु । जणणु वि गउ तेत्थु जि णिहियचित्तु रिसि दिवउ तेण समाहिगुत्तु । वंदेप्पिणु पुच्छिउ सुयहि कंतु को होसइ जइवर गुणमहंतु । मुणि पभणइ वरु हेमाहणयरि ता जायवि ताएं सोक्खसयरि। पडु पसरिउ णदलण दिछु भवु सुमरिवि सो मुच्छइ णिविछु। उम्मुच्छिउ साहइ णिययजम्मु किर तहु परद्ध विवाहकम्म। जा संजायउ रोमंचु' उंचु ता अण्णु जि संपण्णउ पवंचु ।
में देव की विचित्रता के कारण वह कबूतरी मर गयी। घर आकर अपनी चोंच के द्वारा लिखित सुन्दर अक्षरों से कबूतर ने बता दिया कि रतिवेगा मर गयी। हे तात ! इस समय वही तुम्हारी चोंच के द्वारा लिखित सुन्दर अक्षरों से कबूतर ने बता दिया कि रतिवेगा मर गयी। हे तात ! इस समय वही तुम्हारी पुत्री हुई है-श्रीचन्द्रा नाम से। ऐसा माता-पिता से बिम्बफल के समान अधरोंवाली उन सुन्दरियों ने कहा। इस कबूतर के जोड़े को देखकर अपने पूर्वजन्म के ज्ञान से वह मूर्छित हो गयी।" ___ पत्ता-यह सुनकर, उन लोगों ने पक्षी के जन्मान्तर का वृत्तान्त पट पर अंकित किया और उसे सुखद क्रीडावाली मदनलता नटी और रंगतेज नामक नट के हाथ में सौंप दिया।
(13) उन्होंने रस से विशिष्ट पट को उपवन में रख दिया और दोनों ने नाचना प्रारम्भ कर दिया। गम्भीर चित्त पिता भी वहाँ से गया और उसने समाधिगुप्त मुनि के दर्शन किये। वन्दना करके उसने पूछा-"हे मुनिवर ! गुणों से महान् कन्या का पिता कौन है ? मुनि कहते हैं वे उत्तम सैकड़ों सुख देनेवाली हेमाभनगरी में उत्पन्न हैं। पिता ने जाकर वह चित्रपट फैलाया। नन्दाढ्य ने उसे देखा। पूर्वजन्मों को याद कर वह बैठा-बैठा मूर्छित हो गया। मूर्छा दूर होने पर वह अपने पूर्व भव का कथन करता है। फिर उसका विवाह-कर्म प्रारम्भ
1. AP लियागे। 5. AP पय। 6. दइवहो। 7. AP इय। 8. AP तहिं। 9. A परंतरु। 10. A "गाउडियकरे। Pणणारिकरे।
(13) 1. A तेत्यु वि। 2. A हेमाहे णयरि। 3. AP भउ। 4. AP रोमचुचु ।