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98.9.2]
महाकपुप्फयंतविरयउ महापुराणु
बंभु मोक्खु तयु' लोयपसिद्धउ बंभें बंभु ण वुच्चइ सुत्तें बंभे बंभचेरु विद्धंसिउ मच्छधिणिहि वासु' उप्पण्णउ मूलु असुद्ध वप्प किं साहहि कुलु उत्तमु पत्थिवकुलु भण्णइ ता कुलगव्वु तेण परिहरियज काणणि जंत जंत दुसणि पंथुम ि संणासें गय ते सोहम्महु जो बंभणु सो तुहुं संजायउ अभयकुमारु णामु हयदुक्खहु
घता - पभणइ महिवलणाहु'
बंभसदु मुणिवरपडिबद्धउ । आसि तिलोत्तमरमणासत्तें ।
भट्ठु कुलु काई पसंसिउ । तुहुं पुणु कुलवाएं अद्दण्णउ' । मारिज्जइ पसु बंभणवाहहिं । जहिं तित्ययर जति परमुण्णइ । णिच्छएण जिणधम्मु जि धरियउ । वग्घसीहगयगंडयभीसणि ।
आडिट एलई तिणि वि । सग्गहु सुरवररमणीरम्महु । सेणियरायपुत्तु विक्खायउ । चरमदेहु जाएसहि मोक्खहु । 'गयमिच्छत्ततमंधहि । भणु चंदहि भवाई सुरहियचंदणगंधहि ॥४॥
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तं णिसुविणु' भासइ मुणिवरु सुणि' सेणिय अक्खमि तुह वइयरु । सिंधुविसइ बसालीपुरवरि
धरसिरिओहामियसुरवरघरि ।
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है, कुल वह है जहाँ सुज्ञान अर्जित किया जाता है। वह धर्म हैं, जहाँ कुशील से बचा जाता है। ब्रह्म मोक्ष और तप लोकप्रसिद्ध हैं। ब्रह्म शब्द मुनिवरों के लिए प्रतिबद्ध है। यज्ञोपवीत या ब्रह्म ब्रह्म नहीं कहा जाता । तिलोत्तमा से रमण करने में आसक्त ब्रह्मा ने ब्रह्मचर्य को नष्ट कर दिया, ऐसे नष्ट और भ्रष्ट कुल की प्रशंसा करने से क्या ? मधुर की पत्नी से व्यास उत्पन्न हुए और तुम कुलवाद से पीड़ित हो । हे सुभट ! जिसका मूल अशुद्ध है, उसकी शाखा का क्या ? ब्राह्मण रूपी व्याधों से पशु मारे जाते हैं । उत्तमकुल तो राजकुल (क्षत्रियकुल ) है जहाँ तीर्थंकर परम उन्नति को प्राप्त करते हैं। तब उसने कुलगर्व छोड़ दिया और निश्चित रूप से जिनधर्म धारण कर लिया। बाघ, सिंह, गज और गेंडों से भयंकर दुर्दर्शनीय जंगल में जाते-जाते रास्ता नहीं पाते हुए वे दोनों मन की शल्यों को नष्ट कर संन्यास से मरकर देवांगनाओं से सुन्दर सौधर्म स्वर्ग में गये। जो ब्राह्मण था, वह तुम विख्यात श्रेणिकपुत्र अभयकुमार नाम से हुए चरमदेही तुम दुःख को आहत करनेवाले मोक्ष जाओगे ।"
पत्ता- तब राजा कहता है- "मिथ्यात्व के अन्धकार से रहित और सुरभित चन्दन के समान गन्धवाली जन्मान्तरों को बताइए।"
चन्दना
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यह सुनकर मुनिवर ने कहा- ' "हे श्रेणिक ! सुनो। तुमसे पूर्वजन्म का वृत्तान्त कहता हूँ । सिन्धुदेश में
( 8 ) | AP लोपसिद्ध 2. AP तिलोत्तम' 3. B द्रासु । 4. A आदण 5. AP उत्तिषु। 6. P मशियलु णाहु7. AP राय मिच्छत् । (9)1. AP णिगुणेपिणु। 2. A युणि। 3. AP तुह अक्खमि ।