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82.11.12]
महाकइपुष्फयतविरयउ पहापुरागु
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पुणरवि मुक्कउ बंभणु भणिवि जइ पइसहि' तो पुरि सिरु लुणिवि। तं णिसुणिवि पीरसु वज्जरिउं
कुसुमालहु हिक्वउं थरहरिउं । गउ भिल्लपल्लि कालउ सबरु तें सेविउ चावतिकंडधरूं । आसाइयतरुणाणाहलहिं
अण्णहिं दिणि आविवि णाहलहि। तप्पुरवरगोमंडलु गहिउं
धाविउ पुरवरु सेणियसहिउँ । सो सोत्तियसवरू णिवाइवउ
णरयावणि मरिवि पराइयउ। पुणु" जलि झसु पुणु पुणु पुणु" उरउ पुणु बग्घु" जाउ मारणणिरउ । पुणु पक्खिराउ पुणु कूरमइ
पुणु सीहु विरालु' रणेक्करइ । पुण भमिउ सत्तणरयंतरहेिं
णाणाजोणिहिं तसथावरहि। पुणु एत्यु खेत्ति कुरुजंगलइ करिवरपुरि परिहाजलवलइ। घत्ता-लोयहु मग्गपउंजउ जहिं णरणाहु धणजउ।
कविलु” सुणामें सोत्तिउ तहिं दइवें णिव्वतिउ ॥10॥
तहु घणयणसिहरणिसुंभणिहि जायउ' अणुराहहि बंभणिहि ।
सो गोत्तमु णामें णीसिरिउ पब्भट्ठजणिठ्ठपुण्णकिरिउ' । उसे देख लिया और अपने कठोर हाथ से उस चोर को पकड़ लिया। परन्तु ब्राह्मण समझकर उसे छोड़ दिया(और कहा) “यदि फिर से शहर में प्रवेश किया तो सिर काट लूँगा।" उस नीरस कथन को सुनकर चोर का हृदय धर-थर काँप उठा। वह भीलों के गाँव में चला गया। उसने धनुष-बाणधारी कालक भील की सेवा की। नाना प्रकार के वृक्ष-फलों का आस्वादन करनेवाले भीलों ने, दूसरे दिन आकर इस नगर के गौमण्डल को ग्रहण कर लिया। सेन कोतवाल के साथ नगर का नगर उसके पीछे दौड़ा। वह ब्राह्मण भील मारा गया।
और मरकर नरकभूमि में पहुँचा। फिर जल में मछली, फिर साँप और फिर मारने में निपुण बाघ बन गया। फिर पक्षीराज (गरुड़), और फिर क्रूरबुद्धि, भयंकर युद्ध की एकमात्र बुद्धि रखनेवाला सिंह। फिर सातों नरकों
और त्रस-स्थावर आदि नाना योनियों में घूमता रहा। फिर इस करुजांगल क्षेत्र के परिखा-जल से घिरे हुए हस्तिनापुर में;
घत्ता-दैवयोग से कपिलायन नाम का ब्राह्मण हुआ जहाँ धनंजय नामक मार्गदर्शक राजा था।
झुक गये हैं अग्रभाग जिसके, ऐसे सघन स्तनोंवाली उसकी अनुराधा ब्राह्मणी से वह गौतम नाम से (पुत्र) उत्पन्न हुआ। वह अत्यन्त दरिद्र था। लोगों के लिए पुण्यक्रियाओं से भ्रष्ट उसका समूचा कुल नष्ट हो गया।
5. पमुक्कु। 4.A पइसहि परि तो। 5. AS "त्रिकंडकताकBP गुरदरू। 7. BP था। 8. B सेणे P सेणिय सेणय। 9. सोत्तिक । 10. AP एण जलणिहि प्रभु पुणरयि पाड। 11. Hgs: Samits पुणु। 12. AT या हरिणभार: BP बग्घु जीवमारण" 5 बग्घु जीउ मारण.113. B पंखिराउ। 14 APS चियालु। 15. AP रणेक्कमह। 16. PS मगु। 17. A कविसलु णार्म ।
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