________________
2
95.8.11]
महाकमुप्फयंतविरयउ महापुराणु
अग्भूिइमहिदेव रामहि तु "अग्गसहु देउ' विsविवि घत्ता - हिमकंपियकाय पहाउ वरायउ म्हंतु वि सासयठाणहु । हिंसाविहि मण्णs जिणु अवगण्णइ जाइ केव णिव्वाणहु ॥ 7 ॥ ( 8 )
मुउ भाभारजित्तससिमालइ सत्तसमुद्दई तहिं णंदेष्पिणु उत्थाउ पुणु वि मंदरपुरि गोत्तमभट्ट कोसिया गेहिणि अग्निमित्तु मित्त व तेइल्लउ कुमइ कुबुद्धिवंत उप्पायइ अंबरु दइवणिओएं आइउ जीव भाव दुक्क झीण दूसहेण तवचरणें सुरहरघरकीलियतियसिंद" पुणु वि पुव्यपुरवरि सुहभायणु
गोत्तमणामहि मज्झे खामहि । थिउ परिवायवित्ति अवलंबवि ।
5. A एवडे । 6. AP अग्गितिहु 1 A देहु । B ( 8 ) 1. A हूयउ। 2. AP "समूहसमहं गदिष्पिणु
* सहभायण
हुयउ' सणक्कुमारसग्गालइ । मिच्छाइडिउ हरि वंदेप्पिणु । गणगणविलग्गपंडुरधरि * 1 मंथरगइ णं सुरजलवाहिणि । तहि सुउ हुउ सो सोत्तिउ भल्लउ । जलु थलु सव्यु णिच्चु णिज्झायइ । किं कासायउ हणइ कसायउ । मणमलु जलु किं धोयहुं सक्कइ । मुयउ बालु पुणु बालयमरणें । उप्पण्णउ जाइवि माहिंद' | सुत्तकंठु सिरिसालंकायणु ।
1 297
10
5
10
थी, अग्निसह नाम का पुत्र हुआ। वहाँ भी शरीर को मण्डित कर परिव्राजक वृत्ति धारण कर रहने लगा । यत्ता - वह हिंसा विधि को मानता है, जिन ( जिनेन्द्र देव ) की अवगणना (निरादर ) करता कम्पित-शरीर वह बेचारा नहाते हुए शाश्वत स्थान मोक्ष को कैसे पा सकता है ?
| हिम से
मरकर वह जिसने अपनी प्रभा भार से चन्द्रमाला को जीत लिया है, ऐसे सनत्कुमार स्वर्ग में देव उत्पन्न हुआ। वहाँ सात सागरपर्यन्त आनन्द कर, मिथ्यादृष्टि बह, हरि की चन्दना कर, वहाँ से च्युत होकर पुनः आकाश के आँगन को छूनेवाले धवल गृहों से युक्त मन्दरपुर में गौतम ब्राह्मण की कौशिकी ब्राह्मणी से, मन्थरगामिनी जो मानो गंगा नदी थी, अग्निमित्र नाम से पुत्र उत्पन्न हुआ-सूर्य के समान तेजस्वी और एक भले ब्राह्मण रूप में। लेकिन कुबुद्धि कुपण्डितों को जन्म देती है। वह जल-थल सबको नित्य समझता है । वस्त्र कर्मविशेष से उत्पन्न होता है, क्या गेरुआ होने से वह (काषाय वस्त्र ) कषाय नष्ट कर देता है ? भावों से युक्त जीव को मनोमल लगता है, क्या उसे जल धो सकता है ? दुस्सह तप से अत्यन्त क्षीण वह मूर्ख फिर मर गया और बालमरण से जहाँ देवविमानों में देवेन्द्र क्रीड़ा करते हैं, ऐसे माहेन्द्र स्वर्ग में उत्पन्न हुआ। फिर, अपने उसी पुराने मन्दर नगर में शालंकायन नामक ब्राह्मण की मन्दगामिनी पत्नी से,
A णवरु वि सासव' १५. A केम जाइ।
AP गणविलग्ग" । 4. AP विठु । 5. A मणमलु किं जडु G. A वकीलय" । 7. ए महिंदए ।