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________________ 280] महाकइपुष्फयंतविण्यउ महापुराणु [94.16.1 ( 16 ) आसणं कंपियं सग्गिणा' जंपियं। देवदेवो हुओ बंभदेवीसुओ। चारुसंचियसमो अज्जु तेवीसमो। इय चवंतेण से झाइय माणसे। अमरवरवारणो झत्ति अइरावणो। पत्तओ पोढओ तम्मि आरूढओ। बहुमुहो' सयमहो सुरबुहो' बहुमुहो। अवि य देवी मई वारुणामी सई। हसिणी' सारसी उव्वसी माणसी। गोमिणी पोमिणी रामिणी सामिणी। भामिणी कामिणी धारिणी हारिणी। वामहायारिणी गेहिणी खोहणी'! माणणी मोहणी। पेसला पल्लवी चंदिणी12 माहवी। णंदिणी णाइणी मेत्ति इंदाइणी। उज्जला पत्तला कोमला सामला। विज्जुला वच्छला मंगला पिंगला। सतिलया सविलया सपुलया सकिलया। सरलिया तरलिया सुललिया लवालिया। कति कित्ती रसा लच्छि णीरंजसा। 20 (16) आसन काँप उठा, इन्द्र उचक पड़ा। ब्रह्मादेवी के पुत्र देवाधिदेव सुन्दर, संचित उपशम भाव के समान तेईसवें तीर्थंकर आज हुए हैं, इस प्रकार कहते हुए देवताओं ने मन में उनका ध्यान किया। अमरों का श्रेष्ठ गज प्रौढ़ ऐरावत शीघ्र आ गया। बहुमुखी इन्द्र उस पर शीघ्र आरूढ़ हो गया और आदरणीय बृहस्पति भी। देवी सरस्वती, वारुणी नाम की इन्द्राणी और सरस हंसिनी, उर्वशी, मानसी, गोमिनी, पधिनी, रामिणी, स्वामिनी, भामिनी, कामिनी, धारिणी, हारिणी, मन्मथकारिणी, रोहिणी, क्षोभिणी, मानिनी, मोहिनी, पेशला, पल्लवी, चाँदनी, माधवी, नन्दिनी, नागिनी, मित्रा, इन्द्रायणी, उज्ज्वला, पत्रला, कोमला, श्यामला, विद्युत्-वत्सला, मंगला और पिंगला। तिलक, पुलक, वलय और क्रीड़ा के साथ सरला, तरला, सुललिता और लवलिका, कान्ति, कीर्ति, रसा, लक्ष्मी जौर नीलंजसा (16) 1. " सकिणा। 2. AP शाहओ। 3. A महरहो सयमहो। 4. AP सुविबुहो बहुमूहो। 5. AP सई। 6. AP वारुणी पीणई। 7. K हिसिणी। h. AP भगिणी। 9. A खोहिणी। 10. A माणिणी। 11. A पोसला। 12.A चंदणी। 13. A पित्ति पदाइणी; मत्ति मंदाहणी; 14. P सबलया। 15. AP किसलया। [G. A कित्ति संती रसा; कित्ति संती रिसा।
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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