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________________ 278] महाकपुण्फयंतविरयउ महापुराणु यत्ता - णिसि सुहुं सुत्ताइ परिवयितछाव | सिविणावलि दिव्य दीसइ जिणवरमावइ || 13 || ( 14 ) अनिंदो गइंदो महासीक्खखाणी भमंतालिसामं हवंधारपंको तमंवित्तछेओ! झमाणं सुरम्मं कुलज्जणाल जलुल्लोलवंती मही अत्ततीरो पसत्थं परूढं सुहाणं णिणं घरं सारसाणं गुणसामऊहो वगंत डहंती घत्ता - पुणु पडिबुद्धाइ जाइवि विसिंदो महंदो । सई माहवाणी । णवं पुप्फदामं । पउण्णो ससंको। रवी तिव्वतेओ । घडाणं च जुम्मं । सरं सारणालं । महंतो रसंतो । पओही गहीरो । कुरंगारिवी । सुराणं विमानं । कुंभीणसाणं । मणी समूहो । किसाणू जलतो । वइरिकतहु । इय सिविषय ताइ पेक्खिवि अक्खिय कंतहु ||14|| [ 94.13.19 5 10 9. AP सुत। 10. 4 दिव्वा । ( 14 ) 1 A तमीरंतछेओ P तभीयंताओ। 2. A omits this font; P समुद्दो गहीरो 3 पीढं। 4. A वणतो । 15 घत्ता - रात्रि में सुखपूर्वक सोते हुए, बढ़ रही है शरीर की कान्ति जिनकी, ऐसी जिनवर की माँ ने स्वप्नावली देखी । ( 14 ) अनिन्द्य गजराज, श्रेष्ठ वृषभ, सिंह, अत्यन्त सुख की खान सती लक्ष्मी, मँडराते हुए भ्रमरों से युक्त पुष्पमाला, अन्धकार की कीचड़ को साफ करनेवाला पूर्ण चन्द्र, अन्धकार का नाशक दिव्य तेजवाला सूर्य, मत्स्यों और कलशों के सुन्दर जोड़े। जल के भीतर रहनेवाले नालों से युक्त कमलों का सरोवर, जल से चंचल और खूब गरजनेवाला तथा तटों से धरती को छूनेवाला गम्भीर समुद्र, प्रशस्त और उन्नत सिंहासन पीठ, सुहावना कोश, देवताओं की विमान लक्ष्मी से युक्त नागों का लोक, दिशाओं में व्याप्त किरणोंवाला, मणियों का समूह, वन को जलाती हुई और जलती हुई आग। घत्ता - प्रातःकाल जागने पर शत्रु के लिए यम के समान अपने पति से भेंट कर उसने यह स्वप्नावली उन्हें बतायी।
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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