________________
374 ]
महाकपुष्फरतविरयउ महापुराणु
[94.9.8
भावसुद्धि फेडइ मणसल्लई भावसुद्ध णरु आणइ फुल्लई। जिणपडिबिंबई पहाणइ पुज्जइ अप्पाणहु सुविसोहि समज्जइ। चित्तविसुद्धिहि अणुदिणु सुज्झइ सच्चई सत्त वि तच्चई बुज्झइ। घत्ता-जिणु जिणपडिबिंबु गउ तूसइ णउ कुप्पइ। इह एण मिसेण जीवें सुद्धि विढप्पई ॥9॥
(10) जइ वि बप्प जिणपडिम अचेयण जाणइ पुज्ज ण खंडण वेयण। तो वि अंतरंगह सुहकम्मह होइ हेउ परमागमधम्महु। मुइय विलासिणि कालें छित्ती विडु चिंतइ मई केव ण भुत्ती। सुणहु भरइ' मई केव ण खद्धी जालावलिजलणेणाउद्धी । झावइ मुणि अवियाणियणेयई किह तवचरणु ण चिण्णउं एयइ। जइ वि अजीयउ कामिणिकायउ तो वि भाउ अण्णण्णु जि जायउ । गउ दुग्गइ बहुकामगहिल्लउ जीहिंदिवसु मुउ सुणहुल्लउ। रिसि संसारु घोरु णिज्झाइवि गउ सम्महु दुक्किय विणिवाइवि। अण्णते' बहिरंगें घिप्पड़ भाउ दुभएं कम्में छिप्पड़। एहऊ जाणिवि भाउ विसिट्ठहिं परिपालियजिणवरचयणिट्ठहिं' ।
10
विशुद्ध मनुष्य पुष्प लाता है (चढ़ाता है), जिन प्रतिमा का अभिषेक और पूजन करता है और अपने लिए सुविशुद्धि अर्जित करता है। चित्त की विशद्धि से प्रतिदिन शद्धि मिलती है, और सातों सच्चे तत्त्वों का भी ज्ञान हो जाता है। __घत्ता-जिन भगवान् अथवा उनकी प्रतिमा न तो सन्तुष्ट होती है और न क्रुद्ध होती है। लेकिन इस प्रकार से इसके द्वारा जीव चित्त की शुद्धि का उपार्जन करता है।
(10) हे सुभट । यद्यपि .जिन-प्रतिमा अचेतन है, वह पूजा और खण्डन की वेदना को नहीं जानती, तो भी वह अन्तरंग शुभ कर्म और परमागम तथा धर्म का कारण होती है। काल से स्पृष्ट होने पर बेचारी वेश्या मर जाती है। विट (विलासी) सोचता है-मैं उसका किसी प्रकार भोग न कर सका। कुत्ता सोचता है-मैं किसी प्रकार उसे खा नहीं सका, वह आग की ज्वालाओं में जलकर खाक हो गयी। मुनि सोचते हैं कि इस अज्ञानी ने तपश्चरण क्यों नहीं किया ? यद्यपि वेश्या के लिए शरीर जड़ है, तब भी, उससे भिन्न-भिन्न भाव उत्पन्न होते हैं। अत्यन्त काम से पागल कामी दुर्गति में गया। जिला-इन्द्रिय के वशीभूत कुत्ता मर गया। मुनि घोर संसार को छोड़कर और पाप का नाश कर स्वर्ग गये। नानात्व और बहिरंग कर्म से भाव ग्रहण किया जाता है और वह शुभ, अशुभ दो प्रकार के कर्म से स्पृष्ट होता है। 'भाव' को इस प्रकार का जानकर, जिनवर के वचनों में निष्ठा का परिपालन करनेवाले विशिष्ट लोगों के द्वारा उन-उन वस्तुओं से भावना करनी 5. A सर मा णियमणसुद्धि विढप्पड।
(10) I.A भगइ। 2.AP जालाचवलें जलणें रुद्धी। SA वेयए। 4.A अजीविउ। 3. AP यि काम । B. AP अण्णणे। 1. A *पय ।