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महाकइपुप्फवंतविरयड महापुराणु चक्कट्टि संसारहु सकिउ । सहुं णरणाहहिं रिसिदिक्खंकिउ । जावच्छइ बंणि रवियरतत्तउ लंबियकरु उज्झियणियगत्तउ। अजयरु तमपहबिलि' उप्पज्जिवि तहिं बावीसजलहि दुई अँजिवि। सबरिहि सबरें वणि जणियउ सुउ सो कुरंगु णामें वणयरु हुउ। आयउ तहिं जहिं मुणिवंदियजणि' सत्तुमित्तसमचित्तु महामुणि। सुरिवि वइरु दंतदट्ठोढ़ें विद्धउ साह तेण पाविढें। धम्मगुणुज्झिएण पवियारउ अप्पसमाणे बाणे मारिउ। संभूयउ मज्झिमगेवज्जहि तहिं मज्झिमविमाणि णिरवज्जहि। सत्तावीससमुद्दई जीविउ कासु. ण कासु देउ मणि भाविछ । घत्ता-इह जुबूदीवि लवणजलहिजलणिवसणि ।
पुणु कोसलदेसि उज्झाउरि" णवपल्लववणि ॥7॥
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कासवगोतु राउ जियमहियलु दुक्खलक्खदोहग्गनयंकरि चूउ अहमिदु ताहि सो हूयउ मंडलेसु कयमंडलसूरर
वज्जबाहु' पहु वज्जि व बहुबलु । देवहु दुल्लह देवि पहंकरि । सिसु आणंदु णाम वररूयउ। सूरह उग्गउ णं पडिसूरउ।
अहिंसा रूप परम धर्म सुनकर, वह चक्रवर्ती संसार से शकित हो उठा और राजाओं के साथ उसने दीक्षा ले ली। जब वह वन में सूर्य की किरणों से संतप्त, अपने शरीर की सुधबुध खोकर हाथ लम्बे किये हुए बैठे थे, कि तभी वह अजगर तमःप्रभा नरक में उत्पन्न होकर तथा बाईस सागर प्रमाण दुःख भोगकर, भील के द्वारा एक भीलनी से पुत्ररूप में उत्पन्न हुआ। वह कुरंग नाम का भील हुआ। वह वहाँ आया, जहाँ मुनियों के द्वारा वन्दनीय एवं शत्रु-मित्र में समता भाव रखनेवाले महामुनि विराजमान थे। पुराने बैर की याद कर दाँतों से ओठ चबाते हुए उस पापी ने मुनि को वेध दिया। अपने ही समान धम्म गुण (धर्मरूपी गुण, धनुष की डोरी) से मुक्त बाण के द्वारा उसने उन्हें मार दिया। वे मध्यम त्रैवेयक में निरवद्य मध्यम विमान में उत्पन्न हुए। वहाँ सत्ताईस सागरपर्यन्त जीवित रहकर वह देव किस-किस के मन को अच्छा नहीं लगा !
घत्ता-लवणसमुद्र के जल से निवसित इस जम्बूद्वीप में, नवपल्लवों से युक्त कोशलदेश में अयोध्या नगरी है।
उसमें कश्यपगोत्रीय, धरती को जीतनेवाला, वज्र के समान शक्तिशाली बज्रबाहु नाम का राजा था। उसकी लाखों दःखों और दुर्भाग्यों का नाश करनेवाली, देवों के लिए भी दुर्लभ प्रमंकरी नाम की देवी थी। वह अहमेन्द्र से च्युत होकर, सुन्दर रूपवाला उसका आनन्द नाम का पुत्र हुआ। वह मण्डलेश्वर शत्रुराजाओं के लिए शूर 5. A तमहविलइ । ६. A दियगुणि; " गुणवंदियमुणि। 7. A दवदंतोड़ें। 8. Pण साह। 9. AP सप्पसमायणे। 10, A उज्झाणयरे उबवणे: Pउन्माउरे का उपवणे।
(8) 1. A 'बाहु बाहुबलि व बाहु पठु बनि व। 2. AP देवहं । ५. A नाहं संभूयउ: P ताहि सुर हूयट ।