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________________ 94.2.13] महाकइपुप्फयंतविरयउ महापुराणु 1267 (2) छुड़ छुडु उन्मियाइं वणि दूसइं हरियई पीयई चिंधविहूसइं। छुडु छुडु दीहरपंथें भग्गा हय गय वसह चरेव्यइ लग्गा। छुडु करहावलि चरहुं विमुक्किय छुडु खयचुल्लिहिं सिहि संधुक्किय। छुडु गारसभूम गति हिउ कुछ जो सा जोर परिट्टिउ। ता करडयलगलियबहुमयजलु मयजललुलियचलियमहुयरउलु । तेण गइर्दै मारणसीलें कलिकयंतकालाणलणीलें । हरि वंकमुह दिसाबलि दिण्णउ खरु 'खरबुक्किरु दंतहिं भिण्णउ । करहु उद्धमुहु फाडिवि छंडिउ मुक्कु बलदु झ त्ति पविहंडिउ । णासमाण बहुमाणव मारिवि एव सत्थु सयलु वि संघारिवि। दिवउ विरइयधम्मणिओएं रिसि सठिउ आयावणजोएं। धायउ "जूरियकरकयंतहिं जा वच्छत्थलु पेल्लइ दौतेहिं। घत्ता ता दिट्टउ तेण तह उरयलि सिरिलछणु । सुयरिवि चिरजम्मु "पयहिं पडिउ उवसममणु ॥2॥ शीघ्रातिशीघ्र वन में हरे-पीले और चिह्नों से विभूषित तम्बू उठा दिये गये। शीघ्र ही लम्बे रास्ते के कारण थके हुए घोड़े, हाथी और बैल चरने लगे। शीघ्र ही ऊँटों का समूह चरने के लिए भेज दिया गया। शीघ्र ही खोदे गये चूल्हों में आगी चेता दी गयी। शीघ्र ही वन में लोक (लोग, जनता) धूम-सहित उठ गये। शीघ्र ही योगीश्वर योग में स्थित हो गये। इतने में, जिसके गण्डस्थल से बहुत अधिक मदजल गिर रहा है, जिसके मदजल के कारण भ्रमरकुल आन्दोलित और चंचल है, ऐसे प्रलयाग्नि के समान श्याम उस हिंसक गज ने वक्रमुख घोड़े की दिशाबलि दे दी। कठोर बोलनेवाले गधे को दाँतों से फाड़ डाला। ऊँचे मुखवाले ऊँट को फाड़कर छोड़ दिया। बैल को प्रखण्डित कर शीघ्र छोड़ दिया। भागते हुए बहुत-से लोगों को मारकर तथा समूचे सार्थवाह का संहार कर, उसने धर्म-नियोग विहित आतापनयोग में स्थित मुनि को देखा। वह हाथी दौड़ा 1 क्रूर यम को भी पीड़ित करनेवाले अपने दाँतों से जब तक वह उनके वक्षःस्थल को धक्का घत्ता-उसने उनके उरतल पर श्री का चिह्न देखा। अपने पूर्वजन्म की याद कर वह उपशान्त होकर मुनि के पैरों में पड़ गया। (2) 1. A जाणवमधूम P जणरओ सधूम। 2. उद्विय 1 3. A कालाणलकीलें। 4. AP खरभुकिरु। 5. AP हिउ। 6. AP चिउ। 7. AP "वमविनोएं। ४. चूरिष" | 9. AP सिरिमंहगुर। 10.A पाएटिं।
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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