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________________ 93.11.14] महाकइपुप्फयंतविरयउ महापुराणु | 261 सिवमत्यु' भणिवि सिवतावसेण ता सो परिपुच्छिउ तावसेण। दीसहि बहुपुण्णाहिउ महंतु भणु भणु किं आयउ णीससंतु। भणु भणु किं दुक्खें दुत्थिओ सि तुह केण हओ सि गलत्थिओ सि। दप्पिछ दुठ्ठ खलु पावरासि तं णिसुणियि भासइ अलियभासि। पोयणपुरवरि अरविंदु राउ हउँ तासु मति ववगयविसाउ। खुड़े दाइज्ड भायरेण मरुभूएं गुरुवइरायणेण। महं सिरि ण' सहतें करिवि रोसु अलियर्ड जि देवि' परयारदोसु। णीसारहु मारहु एहु' वज्झु रोसाविउ लाविउ राउ मज्झु । राएण वि तेण वि पेरिएण हर्ड किंकरलोएं वडरिएण। धम्मिल्लि धरिवि अच्छोडिओ मि करमाटेहिं लट्ठिहिं ताडिओ' मि। विडमाहिर धाडिर पट्टणार अमा व वरभमरु व सुरवणाउ ! एवहिं लग्गउ परलोयसिक्ख दे देहि भडारा सइवदिक्ख । घत्ता-चप्पिवि जडभारु हरतवलच्छिइ मंडिउ" । सो गुरुणा सीसु भूईरयभुरुकुंडिउ'' |11॥ 10 'कल्याण हो' (शिवमस्तु) कहकर, शिवतापस तपस्वी ने उससे पूछा-“तुम अत्यधिक पुण्य से महान् दिखाई देते हो ! बताओ, बताओ, लम्बी साँस लेते हुए क्यों आये ? बताओ, बताओ, तुम किस दुःख से दुःखी हो ? तुम्हें किसी ने मारा या किसी ने निकाल दिया ? दर्पिष्ठ, दुष्ट, खल, पापराशि और झूठ बोलनेवाला वह कहता है-पोदनपुर में राजा अरविन्द है। मैं विषाद को प्राप्त उसका मन्त्री हूँ। क्षुद्र सौतेले भाई मरुभूति ने, मेरी लक्ष्मी सहन न कर सकने के कारण, क्रोध कर और झूठा परदार-दोष लगाकर, 'यह वध्य है, इसे निकालो, मारो', इस प्रकार मेरे विरुद्ध राजा को क्रोध दिलाकर मुझे निकलवा दिया। उस सजा के द्वारा प्रेरित अनुचर समूह बैरी के द्वारा चोटी पकड़कर घसाटा गया, हाथ को मुट्टियों और लाठियों से प्रताड़ित किया गया और घुमाकर नगर से निकाल दिया गया, जैसे अमर या श्रेष्ठ भ्रमर को नन्दनवन से निकाल दिया जाये। अब मैं परलोक-शिक्षा में लग गया हूँ। हे आदरणीय ! मुझे शैव दीक्षा दीजिए। __घत्ता-जटाभार बाँधकर, उसे शिव की तपलक्ष्मी से मण्डिन कर दिया गया। वह शिष्य गुरु के द्वारा भूतिरज से अलंकृत कर दिया गया। (1) I.AP सिबसयु। 2. A गहसंगें" असहनें। 5. A देव14. A एउ व एहु विवश्बु । 5. A रायज्यु (1); P रायपक्छु । 6. A अत्योडिओ सि। . A ताजिओ मि। B.AB सुवरणात। 9. A सेयदिक्त। 10. AP मॉडेयर । II. ABP मूईरयतुर कांडघट।
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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