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________________ 258 ] पाणकइपुष्फयंतविरयर महापुराणु [93.7.5 10 वीसमइ णियंबत्थलि णिसण्णु दरमम्मणमणियह देइ कण्णु। कंठग्गहकेसग्गहणिरुद्ध कहिं जियइ पाउ पावेण खद्ध। मरुभूएं महभूपांड सई दिवाउ" सुरयगइंदि चडिउ। विषणविउ गरिंदहु भायरेण जिह लइवउँ कलत्तु सहोयरेण। राएं पंसिव बइरावहारि किंकर करालकरवालधारि । निग्गुणु णिग्घिणु परिगलियमाणु सो परवहुए सहुं कीलमाणु। ___ घत्ता-मंदिरु जाएवि णिब्भररमणरसंतरियउ' | __जमदूयसमेहिं "पक्कलपाइक्कहिं धरियउ ॥7॥ (8) आणेप्पिणु' दाविर पत्थिवासु तें णिदिउ खल तुहं मंति कासु। छुरयम्में मुंडिउं सीसु तासु गहिमाणु व फेडिउ केसवासु । कउ बिल्लबंधु' सिरि सहइ मुक्खु णं दीसइ फलियउ पावरुक्खु । आरोहिउ गद्दहि खुद्दभाउ पुरि भामिउ णं णारयहु' राउ। कैसे जीवित रहता है : मानो वह बिम्बाधरों का रसपान करता है। उसके नितम्बस्थलों पर बैठकर विश्राम करता है। थोड़ी-थोड़ी काम की उक्तियों पर ध्यान देता है। कण्ठग्रह और केशग्रह से वह विरुद्ध हो गया। पाप से खाया हुआ पापी कहाँ तक जीवित रहता है ? कामदेवरूपी भूत से प्रवंचित तथा सुर-गजेन्द्र पर आरूढ़ उसे स्वयं मरुभूति ने देख लिया। भाई ने जाकर राजा से निवेदन किया कि किस प्रकार सगे भाई ने उसकी स्त्री को ले लिया। राजा ने शत्रुता का अपहरण करनेवाले भयंकर तलवार धारण करनेवाले अनुचर भेजे। निर्गुण, निर्दय, स्खलितमान तथा दूसरे की वधू के साथ क्रीड़ा करते हुए, पत्ता-घर में जाकर, परिपूर्ण रमण रस में डूबे हुए, यमदूत के समान प्रगल्भ अनुचरों ने उसे पकड़ लिया। (8) उसे लाकर राजा को दिखाया गया। उसने उसकी निन्दा की कि तुम किसके मन्त्री हो ? छुराकर्म से उसका सिर मुंडवा दिया गया। अभिमान के समान उसका केशपाश काट दिया गया। सिर पर विल्वबन्ध कर दिया गया। वह मूर्ख ऐसा दिखाई देता है, मानो पापरूपी वृक्ष फलित हो गया हो। क्षुद्रभाव उसे गधे पर बैठाया गया, मानो नरक के राजा को नगर में धुमाया गया हो। उसका गायक कौन ? उसके माथे पर 5. APadd aler this the following four lines : विरुअर देक्खेवि आयरणु तासु, वरुणाइ कहिउ णियदेवरासु । तउ मायरु तुह परिणीइ रत्तु, पत्तिज्जइ मह फुट बचणु बुलु। णिसुणेवि देवरु सच्चसंधु (A सच्चबंधु), कि एहज जं आपरइ (A एहउ किं आयरइ) बंधु। महिलाउ सुछ यिरएति एउ, बंधुहि मि परोप्यरु करहि भेउ (A हिउ भेउ)। 6. A दिट्टा देबिहे देहचडिउ; P दिउ सुरयगई चडिउ । 7.AP सइ । B. A कटोरकरवालधारि, करवालकरालधारि। 9. P परबहुपए। 10. AP संसरिज । HA फलपाइकेहि पक्खलपायकटिं। 12. AP परिउ। (8) 1. A आणेविणु। 2. A बेलुबंधु: । विल्लिबंधु। 3.AP णारयह।
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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