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________________ 81.19.131 [19 महाकइपुप्फयंतविरवड महापुराणु घत्ता-भरहपसिद्धपहु थिरथोरबाहुदुज्जयबल"। जाया ताहिं सुय वरपुप्फयंततेउज्जल ॥19॥ इय महापुराणे तिसहिमहापुरिसगुणालंकारे महाकइपुप्फयंतविरइए महाभष्वरहाणुमण्णिए महाकव्वे मिजिणतित्ययरत्तणिबंधणं" णाम एक्कासीतिमो परिच्छेउ समत्तो ॥31॥ पत्ता-और जो भारत का प्रसिद्ध राजा था। उसके स्थिर और स्थूल बाहुओं से अजेय बलवाले तथा श्रेष्ठ नक्षत्रों के समान तेजवाले पुत्र उत्पन्न हुए। इस प्रकार प्रेसठ महापुरुषों के गुणों और अलंकारों से युक्त महापुराण में महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित और महाभष्य भरत द्वारा अनुमत इस महाकाव्य का नेमिजिन-तीर्थकर-बन्ध नामक क्यासीयाँ परिच्छेद समाप्त हुआ। 10. B परहि। 11.8 "बाह। 12. P"पुष्पदंत । 13. A "तित्यपरन्नामबंध: B "तिस्थयरत्तणामणिबंधणं।
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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