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महाकइपुष्फयंतविरयउ महापुराणु
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परिणिय राएं जायवचंदें
णायसेज्ज चप्पिवि गोविदें। एवहिं मुक्की बहुभवकम्में महएवित्तणु लद्ध धम्में। महुँ केहाई देव' कयछम्मई पभणई रुप्पिणि भणु भणु जम्मई। कहइ मुणीसह इह दीवंतरि भरहवरिसि मागहदेसंतरि। सामरिगामि विप्पु सोमिल्लउ लच्छीमइहि कंतु रिद्धिल्लउ। तह सा बंमणि दप्पणु जोवइ" घुसिणपंकु मुहि मंडणु ढोबइ। ताम समाहिगुत्तपडिबिंबउं अद्दइ दिट्टउं मुक्कविडंबउँ"। घत्ता-पुव्वक्कयकम्मविहिण्णमइ भणइ लच्छि' उभेवि करु ।
जिल्लज्जु" अमंगलु विट्टलउ किह आयउ मेरी घरु ॥3॥
दुवइ-खरसूयरसमाणु दुग्गंधु दुरासउ दुक्खभायणो।
किह मई देिछु' एहु मलमइलिउ भिक्खाहारभोयणो ॥छ।। दप्पिट्टहि टुट्ठहि णिक्किट्ठहि एम चवंतिहि तहि गुणभट्टहि। मच्छियमिट्ठइ' सुटु अणिहि अंगु विणउ उंबरकुट्टइ। तक्खणि सडियई रोमई णक्खई भग्गइं णासावंसकडक्खई।
परिगलियउ बीस वि अंगुलियउ तणुलायण्णवण्णु खणि ढलियउ। प्रिया बनेगी। यादयचन्द्र कृष्ण ने नागशय्या में चौंपकर उससे विवाह कर लिया। इस समय तुम बहुत से कर्मों से मुक्त हुई हो और धर्म से तुमने महादेवी के पद को पा लिया। तब रुक्मणी कहती है-“हे देव ! कपट से भरे मेरे जन्म कैसे हैं ? बताइए, बताइए।" मुनीश्वर कहते हैं-इस द्वीप में भरतवर्ष के मगधदेश में सामर ग्राम में सौमित्र ब्राह्मण है। ऋद्धि से सम्पन्न वह लक्ष्मीमती का पति है। उसकी वह ब्राह्मणी एक दिन दर्पण देख रही थी और केशर का लेप अपने मुख पर लगा रही थी। इतने में काम से रहित समाधिगुप्त मुनि का प्रतिबिम्ब उसे दर्पण में दिखाई दिया। ___घत्ता-पूर्वजन्म में किये गये कर्म से विभिन्नमति वह लक्ष्मी अपने दोनों हाथ उठकर कहती है-"निर्लज्ज अमंगलकारी नीच यह मेरे घर क्यों आया ?
गधे और सुअर के समान दुर्गन्धवाला, खोटी नियतवाला, दुःख का पात्र, मति से मैला, भीख का आहार खानेवाला, यह मैंने क्यों देखा ? इस प्रकार कहते हुए दर्प से भरी हुई दुष्ट, नीच, अनिष्ट और गुण-भ्रष्ट उसका शरीर उम्बरकोढ़ से नष्ट हो गया। उसी समय उसके रोम और नख सड़ गये। नाक की हड्डी और कटाक्ष नष्ट हो गये। उसकी बीसों अँगुलियाँ गल गयीं। शरीर का सौन्दर्य और रंग भी ढल गया। शरीर
7. देवि कयकम्पई। ६ पहणइ। 8. B रूपिगि1 ५. मुणीरु। 10. सोमरि । 11. AS जोयाः। 12. AS ढोयई। 19. P"गुत्तु। 11. विदिउ। 15. P बाल । [A. 12 करि। 17.5 णिलज्जु । 18. B मेराए परि।
(4)1. AP दुख दिटु मन । 2. B एउ। 3. अति ितिहिं। 1.A मन्उिपसिद्धाहे । 5. P°लाय : Sलायपणु। 6. *वणु।