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महाकइपुष्फयंतविरपर महापुराणु
[88.9.10
पई विणु गाइहिं महिसिहि रुण्णउं णंदहु केरउं गोउलु सुण्णउं। जाहि जाहि गोवाल म ढुक्कहि अज्जु मज्झु कमि पडिउ ण चुक्कहि। णिवकुलकमलसरोवरहंसु
जेण परक्कमु भग्गउ कंसहु। तं मुयबल तेर दक्खालहि पेक्खहुँ कुलकलंकु पक्खालहि। एवहिं तुज्झु ण णासहुँ जुत्तउं ता पारायणेण पडिवुत्तउं। घत्ता--पई मारिवि दारिवि अज्जु रणि तोसावमि' सुरवर णर भुवणि । उज्जालिवि" णंदहु तणउ कउं गोमंडलु पालमि गोउ हउं ॥७॥
(10) दुवई-अवरु वि पेक्खु पेक्खु हरिसुजलसिरिथणकुंकुमारुणा ।
एए बाहुदंड महु केरा वइरिकरिंददारणा ॥छ। एए बाण एउं बाणासणु एहु इंदु करिवरखंधासणु। इहु सो तुहं रिउ एउं रणंगणु ए सक्खि सुरभरिउं णहंगणु। जइ णियकुलपरिहउ' ण गवेसमि जइ पई कंसपहेण ण पेसमि। तो बलएबहु पय ण णमंसमि अरहतहु सासणु ण पसंसमि । हउँ णउ पासमि घाउ पयासमि अज्जु तुज्झु जीविड णिण्णासमि ।
तुम जलगजों और. मगरों से भयंकर लवणसमुद्र में जाकर छिप गये थे। तुम्हारे बिना गायों और भैंसों से रहित नन्द का गोकुल सूना हो गया है। हे गोपाल ! तुम जाओ-जाओ, यहाँ मत पहुँचो। आज मेरे पैरों की चपेट में आकर तम नहीं बचोगे। अपने जिस पराक्रम से तमने राजकलरूपी कमलों के सरोवर के हंस कंस का पराक्रम भंग किया है, तुम मुझे अपना बाहुबल दिखाओ तो मैं देखूगा। तू कुलकलंक (गोपत्व) प्रक्षालित कर ले (मिटा ले)। इस समय तुम्हारा नाश ठीक नहीं। इस पर नारायण ने कहा
पत्ता-तुम्हें आज युद्ध में मारकर और फाड़कर लोक में देववरों और मनुष्यों को सन्तुष्ट करूँगा। नन्द के गोकुल को आलोकित कर मैं गोमण्डल (गायों के मण्डल, पृथ्वी-मण्डल) का पालन करता हूँ, मैं गोप हूँ।
(10) और भी देखो देखो, हर्ष से उज्ज्वल लक्ष्मी के स्तन की केशर से अरुण, शत्रुरूपी गजराजों को विदारण करनेवाले ये मेरे बाहुदण्ड। ये बाण, ये धनुष, गजवर के कन्धे पर आरूढ़ वह बलभद्र। यह तुम, ये शत्रु,
और यह युद्ध का मैदान। देवताओं से भरा हुआ यह आकाश साक्षी है: यदि मैं अपने कल के पराभव का बदला नहीं लेता, यदि तुम्हें कंस के पथ पर नहीं भेजता, तो बलराम के चरणों में प्रणाम नहीं करता और अर्हन्त के जिनशासन की प्रशंसा नहीं करता। मैं नष्ट नहीं हूँगा, तुम्हें आघात दूँगा, आज तुम्हारे जीवन
12. नवकुल। 19. A तोसाववि: P तोसामि। 14. सुः परधर पर। 15. A रज्जालर 5 उज्जालमि। 16. Pगो ह।
(10) 1.5 पेल once 2. 5 वरिददारणा। . " एहुँ। 4. $ "परिव ।