________________
88.7.16]
महाकइपुष्फयंतविरया महापुराणु
[ 143 कासु वि णारायहिं उरु दारिउं गायहिं णं वसुहयलु वियारिङ। को वि अद्धइदें सिरि भिण्णउ सोहइ भडु रुदु व अवइण्णउ । गुणमुक्केहि सगुणसंजुत्तउ
बहुलोहेहिं लोहपरिचत्तउ। को वि सुहडु धरणियलु ण पत्तउ मग्गणेहिं चाई उक्खित्तउ। केण वि जगु धवलिउ णिस णि 'असिधेणुयविढत्तजसदुद्धे । धरह ण सक्किउ छिण्णकरग्गहि केण वि धरिउं चक्कु दंतग्गहि । कासु बि सिरु अच्चंततिसाइ असिवरपाणियधारहिं" धाय।। कासु वि अंतइं पयजुबधुलियई पहुरिणबंधणाई णं दुलियई।
10 कासु वि गलिउं रत्तु गत्तंतह फेडइ तिस णिरु तिसियकयंतहु"। कासु वि सिव कामिणि व णिरिक्खड़ णहहिं वियारिवि हियवउं चक्खइ। को चि सुहडु पहरणुत णउ मुज्झइ मुच्छिउ7 उम्मुच्छिउ पुणु जुज्झइ। को वि सुहडु जहिं जहिं परिसक्कइ तहिं तहिं संमुह को वि ण दुक्कइ। घत्ता-चलचामरपट्टालंकरिया हरिवाहिय मच्छरफुरुहुरिय" ।
अभिडिय गरुयरणभारधर पवरासवारकरवालकर ॥7॥
द्वारा वसुधा-तल फाड़ दिया गया हो। कोई अर्धचन्द्र से सिर में विदीर्ण हो गया। वह योद्धा, मानो अवतरित हुए रुद्र के समान शोभित है। गुणों (तीरों, याचकां? से मुक्त होने पर भी, जो सगुण (स्वगुण) से युक्त है, बहुत से लोहों (लोहा) के होते हुए भी लोह (लोभ) से परित्यक्त है। कोई सुभट धरतीतल पर नहीं आ सका, त्यागी (दानी) के समान उसे मग्गणों (तोरों, याचकों) के द्वारा ऊपर उठा लिया गया। अत्यन्त चिकने असिरूपी धेनु से अर्जित यशरूपी दूध से किसी ने सारे विश्व को धवल कर दिया। कटे हुए हाथों के अग्रभागों से जो चक्र पकड़ा नहीं जा सका, उसे किसी ने अपने दाँतों के अग्रभाग से पकड़ लिया। किसी का सिर प्यास से शान्त हो गया। किसी की आँतें पदयुगलों में व्याप्त हो गयीं, मानो स्वामी के ऋण गिर गये हों। किसी के शरीर के मध्य से रक्त स्खलित हो उठा और वह अत्यन्त तृषाकुल यम की प्यास मिटाने लगा। किसी के लिए शिवा (सियारिन) कामिनी के समान दिखाई देती है जो हृदय को अपने नखों से विदीर्ण कर चखती है। कोई सुभट अपना अस्त्र नहीं भूलता, मूच्छित-उन्मूछित होकर भी वह फिर युद्ध करता है। कोई सुभट जहाँ-जहाँ पहुँच जाता है, वहाँ-वहाँ सामने कोई भी सुभट नहीं आता।
घत्ता-हिलते हुए चमरों और पट्टों से अलंकृत, घोड़ों से ले जाये गये, ईर्ष्या से विस्फरित भारी युद्धभार को उठानेवाले तथा प्रवर तलवारों को हाथों में लिये हुए अश्वारोही आपस में भिड़ गये।
3. APS अदयदें। 1. A सिरु। 5. AP घणियले। 6. पायइ उक्तित्तउ। 3. P णुव । 8. B"दिदंत । ५. Aणच्चतु: अच्वंतु। 10. PS धारहे। I. PS धाउं। 12. P"जुब"। 15. A धुलियउ। 11. A खलिबउ; चलिपाई बलियई। 15. P"कहो।।6. A पहरणि ण समुज्झाइ न पहरणे गउ। 17.A मच्छिउ पुगु उ मुछिउ जुझड: P मुछिड मुच्छिउ पुण पुणु जुज्झइ। 18. P समुहुँ। 18. A °पटालंकरिय । 20,"हुरुहुरिय: 5 "फुरुहरिय। 21. AL अभिगम्ब: 5 अभिष्ट्रिय ।