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महाकइपुप्फवंतविरया महापुराणु पवरणयरणरमिहुण-तोसणं परिघुलतणाणाविहूसणं। 'परपरक्कमुल्लुहियदूसणं जुज्झिऊण सुइरं सुभीसणं। 'चरणचप्पणोणवियर्कधरो वरमयाहियेणेव सिंधुरी'। पत्ता-कड्डिउ पएहि धरिवि णिहलिउ गलियरुहिरोल्लिउ ।
कंसु कयंतहु तुड़ेि' कण्हेण भमाडिबि घल्लिउ ॥8॥
हइ कसि वियभिय तियसतुहि आयासह णिवडिय कुसुमविहि। किंकर वर णरवइ उत्थरत' कण्हेण भणिय भंडिणि भिडंत । मा मइं आरोडहु गलियगच मा एयहु पंधे जाहु' सव्व। तहिं अवसरि हरि संकरिसणेण आलिंगिउ जयहरिसियमणेण। वसुएवं भणिय म करह" भति इहु केसरि तुम्हई मत्त दति। भी मुयह मुयह णियमणि अखंति कण्हहु बलवंत वि खयहु जंति। उप विहि दंघईह गब्मम्मि पसण्णि महासईहि। कुलधवलु वसुंधरभारधारि सुउ मज्झु कंसविद्धंसकारि। पच्छण्णु पवहित गंदगोटि एवहिं करु ढोइउ कालबढि"। जो कुज्झइ जुज्झइ सो ज्जि मरइ गोविंदि कुइइ कि कोइ" धरइ ।
10 दूसरों के द्वारा खूब उलाहने दिये जाना-इस प्रकार बहुत समय तक भीषण युद्ध करने के बाद, पैरों की चपेट और कन्धे से झुकाकर जिस प्रकार श्रेष्ठ सिंह के द्वारा हाथी निर्दलित किया जाता है, उसी प्रकार___घत्ता-खींचकर, पैरों से कुचलकर, गिरते हुए रक्त से लथपथ उसे नष्ट कर कृष्ण ने कंस को घुमाकर यम के मुंह में डाल दिया।
(9) कंस के मारे जाने पर देवता आश्चर्यचकित रह गये। सन्तुष्ट होकर उन्होंने आकाश से कुसुमबृष्टि की। तब राजा के किंकर उछल पड़े। युद्ध में लड़ते हुए कृष्ण ने कहा-“हे गलितगर्व ! तुम लोग मुझसे मत लड़ो, सब लोग इसके रास्ते मत जाओ।" उस अवसर पर विजय से हर्षितमन बलराम ने श्रीकृष्ण का आलिंगन किया। वसुदेव ने कहा-"भ्रान्ति मत करो। यह सिंह है और तुम लोग मतवाले गज हो, अपने मन की अशान्ति को तुम लोग छोड़ो। कृष्ण से अधिक बलवाले भी नाश को प्राप्त होते हैं। महासती देवी देवकी के प्रसन्न गर्भ से उत्पन्न, कुलधवल पृथ्वी का भार वहन करनेवाला, कंस का नाश करनेवाला यह मेरा पुत्र है। यह नन्दगोठ में प्रच्छन्न रूप से पलपुस कर बड़ा हुआ है। इस समय इसके हाथ में कालवृष्टि है। जो क्रोध करता है या लड़ता है, वहीं मरता है। गोविन्द के क्रुद्ध होने पर कौन बचा सकता है ?"
3. मिश्रुण" । 4. A परपरक्कम लुहियदूसण: B परपरक्कमटलुहियदेहय; S"मुल्लिहिय । 5. A चप्पणोष्णपिय । 6. A दरमहाहवेण ब; B यस्मयाहियेणेव्य । 7.5 सेंधुरी। B.EK गलिर। 9. APS तोडेि। 10. BP केसवेण ।
(9)I, Pओत्थरंत। 2. P आगेलहु। 3.5 पंधे। 4.$जाह। 5. B भणिउ। 5. D करहि करहु। 7.A पहु18, Bमुहि मुअहि19. A बलयंतहो। 10. B देवोदेवहिं। 1. A कालविट्टि B कालयहि। 12, A गोविंदें कुढ़ें। 13. AP को वि।