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________________ P : 86.7.231 महाकपुष्यंतविरयउ महापुराणु गयलीलगामि कण्हणु बलेण पइसरिवि रंगि वज्जरि कज्जु जुज्झेवि कंसु करि बप्प तेम तुह जम्मवेर खलु खबहु जाउ 'भडभुरवाति' पक्खिजूरि आहवर सिल्लि घिल्ति अणण्णवण्ण सणवज्झि रिउणा विमुक्कु पसरियकरासु ता सो वि सोवि संचालणेहिं आवट्टणेहिं परिभमिवि लद्ध बंधेण बंधु वसुएवसामि । सुहिवच्छलेण । लग्गेवि अंगि। गोविंद अज्जु । दलट्टियं । उ जियइ जेम । उव्यूढखेरि" । उग्गिण्णघाउ । कोवग्गिजालि । तर णच्चतमल्लि । कुंकुण्डलोल्लि | विक्खित्तचुणि' । तहु बाहुजुज्झि । चाणूरु ढुक्कु । दामोयरासु । आलग्ग दो वि। अंदोलणेहिं । अंबि" लुट्टणेहिं । संरुद्ध" बद्धु । रुधेण" रुंधु । [ 113 5 10 15 20 स्वामी तैयार होकर बैठ गये। सज्जनों के लिए चत्सल, बलराम ने रंगभूमि में जाकर, कृष्ण के अंग से लगकर यह काज कहा - " हे गोविन्द ! आज तुम कंस से लड़कर उसके कन्धे उखाड़कर उस सुभट को इस प्रकार बना दो कि जिससे वह जीवित नहीं रह सके। तुम्हारा जन्मशत्रु द्वेष रखनेवाला और आघात पहुँचानेवाला यह दुष्ट नष्ट हो जाये।" जहाँ योद्धाओं का कोलाहल हो रहा है, क्रोध की ज्वाला फूट रही है, जो प्रतिपक्ष को सतानेवाला है, जहाँ नगाड़े बज रहे हैं, जो आयुधों से झनझना रहा है, जिसमें मल्ल नृत्य कर रहे हैं, फूल बरसाये जा रहे हैं, केशर-जल छिड़का जा रहा है, तरह-तरह के रंगों के चूर्ण बिखेरे जा रहे हैं, जिसमें वध निकट है, ऐसे उस बाहुयुद्ध में शत्रु के द्वारा प्रेषित चाणूर हाथ फैलाये हुए कृष्ण के पास पहुँचा । तब वह भी, यह भी, दोनों आपस में भिड़ गये। संचालनों, आन्दोलनों, आवर्तनों और लुट्टनों से घूमकर, उसे 2. BP गोबिंदु 3 A उच्चददेरि । 1 AP भट्टमुयदमालि 5. AP णिक्खित्तपुण्णे। 6. ABPS तहिं 7 AP पमुक्कु BA ये 9 AP add after 20 b. उल्लालणेहि आयीन गोहिं । 10. AP पविलुणेति । 11. B संरुद्ध । 12. AP संघेण बंधु1 19. AP बंधेण बंधु ।
SR No.090277
Book TitleMahapurana Part 5
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages433
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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