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महाकइपुप्फयंतविरयउ महापुराणु पत्ता-कसहु णाउं सुणतु तिव्वकोवपरिणामें।
चल्लिउ देउ मुरारि णं केसरि गयणा ॥4॥
संचलिय' णंदगोवाला सयल. दीहरकर णं मायंग पबल । वियइल्लफुल्लबद्धद्धकेस
उद्दुत यंत' जमदूयवेस। सिंदूरधूलिधूसरियदेह
गज्जिय णं संझारायमेह। कालाणल कालकयंतधाम' भसलउलगरलपणजालसाम । बलतोलियमहिमहिहर रउद्द मज्जायरहिय णं खयसमुद्द। सणिदिविविविविसविसहराह रणि दुण्णिधार अरिहरिणवाह। कयभुयरव दिसि उठ्ठियणिहाय पडुपडहसंखकाहलणिणाय । खलमलणकउज्जम जमदुपेच्छ जयलच्छिणिवेसियवियडवच्छ । रत्तच्छिणियच्छिर मच्छरिल्ल महुरापुरि" पत्त महल्ल मल्ल । पत्ता-ता2 तं रोलविमदु उव्वग्गणसंचालियधरु।
गोवरविंदु" गणावि आरूसिति धाय" कुंजरु ॥5॥
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पत्ता-कंस का नाम सुनते ही, तीव्र क्रोध-परिणामवाले प्रसिद्ध नाम मुरारी इस प्रकार चले मानो सिंह हो।
लम्बी बाँहोंवाले, समस्त गोपाल इस प्रकार चले मानो प्रबल गज हों। खिले हुए फूलों से बँधे हुए ऊर्ध्व केशवाले यमदूत के रूप में, उठते हुए सिन्दूर की धूल से धूसरित देहवाले वे ऐसे लगते थे, मानो सन्ध्या गगवाले मेघ गरज रहे हों। कालानल काल और यम के घर भ्रमरकुल एवं गरल के घनजाल के समान श्याम, अपने बल से पर्वतों को तौलनेवाले रौद्र, वे ऐसे मालूम होते हैं, मानो मर्यादा से रहित प्रलयसमुद्र हों। शनि की दृष्टि में और विष्टि के समान विषधारण करनेवाले विषधर, युद्ध में दुर्निवार शत्रुरूपी हरिणों के लिए व्याध, बाहुओं से शब्द करते हुए तथा दिशाओं में घोर पटुपटह, काहल और शंखों के कठोर शब्दोंवाले, दुष्टों के दमन के लिए उद्यमी, यम की तरह दुर्दर्शनीय और अपने विशाल वक्ष में लक्ष्मी को निवेशित करनेवाले, लाल-लाल आँखों से देखनेवाले ईर्ष्या से भरे हुए वे मल्ल मथुरा नगरी पहुंचे। ____घत्ता-तब शब्द से गरजता हुआ, उछलने से धरती को संचालित करता हुआ हाथी गोपवृन्द को देखकर उन पर क्रुद्ध होकर दौड़ा।
3. AP णिरु तिव्य । 5. A चलिउ मुरारि समोउ णं पलिउ मुरारि सगोउ थे।
(5)1.AP ता पलिय। 2. AP चबल । 3. A पर । 4. विवउल्ल। 5. Pठत। 6.5 सेंदुर 17. AP कयंतयाम। 8. Y"काहलि' 19.Aवियविछ। 10. 13 यिच्छिय। ।।. 5 महुरारि। 12. A तहि गेलविसदु। 13. वेदुः 5 "वंदु। 14. AS धाउ।