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86.3.61
महाकइपुष्फयतविरयउ महापुराणु
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फणि फुप्फुयंतु" चलु जुज्झलोलु णं तिमिरहु मिलियउ तिमिरलोल। दीसइ हरि दहि' भसलउलकालु णं अंजणगिरिवरि" णवतमालु। लणुकंतिपरज्जियघणतमासु। णक्खई फुरति पुरिसोत्तमासु"। सिरि माणिक्कई विसहरयरासु दीसंतई देति व देहणासु। तंवेहि कुसुममणियरहि। तंबु ण सरिवेल्लिहि पल्लउ" पलंबु। अहि घुलिउ अंगि महुसूयणासु णं कत्थूरीरेहाविलासु। : पत्ता-विसहरघेलिरदेह सरि भमंतु रेहइ हरि।
कच्छालंकिउ तुंगु णं मयमत्तउ दिसकरि ॥2॥
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फणि दादाभासुरू फुक्करंतु फणि उरुफणाइ ताडइ त ति फणि वेढइ उब्वेदइ अणंतु फणि धरइ सरइ सो वासुएउ इय विसमजुज्झसंमद्दु सहिवि पीयलवासें हउ उत्तमंगि
महुमहणु व' जुज्झइ हुंकरंतु। पष्टिखलइ तलप्पइ हरि झड ति। फणि तुंचइ वंचइ लच्छिकंतु। ण बीहइ सप्पहु गरुडकेउ। दामोयरेण पत्थाउ लहिदि। मणिकिणसिहासंताणसंगि'।
छोड़ा हो। फू-फू करता हुआ चंचल युद्ध-लोल वह ऐसा लगता है मानो तिमिर-समूह तिमिर से मिल गया हो। भ्रमर-कुल की तरह श्याम सरोवर में ऐसे दिखाई देते हैं, मानो अंजन गिरिधर पर नया तमाल हो। शरीर की कान्ति से सघन अन्धकार को पराजित करनेवाले पुरुषोत्तम के नख ऐसे शोभित हैं, मानो विषधर के सिर के ऊपर श्रेष्ठ माणिक्य दिखाई देते हों, मानो उसके शरीर का नाश प्रकट कर रहे हों। लाल कुसुम रूपी पद्मराग मणियों से लाल, मानो सरोवर की लता-पल्लव हो, मधुसूदन के अंग पर पड़ा हुआ सौंप ऐसा लगता है, मानो कस्तूरी की रेखा का विलास हो। ___ घत्ता--विषधर से व्याप्त शरीरयाले सरोवर में घूमते हुए हरि ऐसे शोभित हैं, मानो कच्छा (वस्त्र) से अलंकृत ऊँचा मतवाला दिग्गज हो।
दंष्ट्राओं से भास्वर और फूत्कार करता हुआ वह नाग हुँकार करते हुए मधुसूदन के साथ युद्ध करता है। अपने भारी फन से तड़-तड़ करके ताड़ित करता है। हरि हाथ के प्रहार से शीघ्र उसे हटा देते हैं। नाग हरि को घेरता है, अनन्त (कृष्ण) उसे घेर लेते हैं; नाग लोंचता है, लक्ष्मीकान्त उसे प्रताड़ित करते हैं। नाग पकड़ता है, वसुदेव उसे चला देते हैं। गरुड़ध्वजी वह साँप से नहीं डरते। इस प्रकार विषम युद्ध में सम्मर्दन सहकर, प्रस्ताव पाकर पीताम्बर वस्त्रधारी उन्होंने मणिकिरणों की ज्वालमाला से युक्त सिर पर उसे आहत
H. A पुष्फतु; PS पुप्फुयतु । 9.A देहि गं भसन' । देहए: S देहे। 10.5 अंजगिरि । 11. S "परिज्जयः। 12.8 पुरुसो"। 13. B देहमासु In second vand: 1 दोहणासु। 14.5 गंतहि 1 15. P कुसुमणियरेटिं। 16. A सरवेल्लोपल्लवपलबुः सरिघल्लिर। 17.5 पल्लवु। 18. B कत्थरिय।
(3) 1. A थि। 2. P"कडाए । S. A तइप्पए। 4. 5 सरद धरइ। 5. P जुङ्ग समदु । 6. APS उत्तिमांग। 7. A "किरणसहासें तेण सांग।