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महाकइपुष्यंतविरयउ महापुराणु
खरखुरहणणवणियमणुसंगहिं कृष्णदिष्णकरणरहिं मरंतहिं पउरहिं महिमंडलि धोलंतहिं हल्लोहलिउ णवरु ता एक्कें पूरिउ संखु जलहिगंजणसरु' अहि अक्कंतउ चाउ चडाविउं कालएण कालु व आहञ्चे
चउदिसिवहि णासंततुरंगहिं । हा हा एउं काई पलवंतहिं । धावंतहिं कंदंतकणंतहिं । कंसह वक्त कहिय पाइक्कें । परमारणउ मयंदभयंकरु । पट्टणु तेण णिणाएं तावि ं । अपसिद्धेन सुभाशुहि भिच्चें ।
घत्ता - णिसुणिवि तं वयणु जीवंजसबइ तहु अक्ख इ । वरिल मई एवहिं मारमि को रक्खइ ||23|| ( 24 )
दुबई - इय' पभणंतु लेंतु करवालु ससेष्णु सरोसु णिग्गओ । ता रोहिणिसएण अवलोइउ भावरु जित्तदिग्गओ ॥ छ ॥ फणदलि देहणालि फणिपंकइ अच्छइ भयरु मुक्कउ संकइ । सावणमेहु व वलए भूसिउ । तु दुब्बासाइ किं वासिउ ।
संखें णं चंदेण पयासिउ सो संकरिसणेण संभासिउ
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बाँधने के खूँटे मोड़ दिये, घोड़ों के तीव्र खुरों के आघातों से मनुष्यों के अंग घायल हो गये, कानों पर हाथ रखे हुए लोग, हा हा यह क्या, इस प्रकार चिल्लाने लगे। महीमण्डल में व्याप्त, दौड़ते हुए, आक्रन्दन करते हुए बहुतेरे मनुष्यों ने कहा- जलधि के गर्जन के समान स्वरवाला शंख पूरित कर दिया गया है, दूसरे को मारनेवाला और सिंह के समान भयानक साँप आक्रान्त कर दिया गया है, धनुष चढ़ा दिया गया है, उसके शब्द से नगर सन्तप्त है। कृष्णवर्ण काल के समान आघात करनेवाले, अप्रसिद्ध, सुभानु के अनुचर सेधत्ता - यह वचन सुनकर जीवंजसा का पति (कंस) उससे कहता है- मैंने शत्रु को पा लिया है, अब मैं उसको मारूँगा, देखें कौन बचाता है ?
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यह कहते हुए और तलवार हाथ में लेते हुए वह सैन्य सहित बाहर निकला। तब इतने में बलराम ने दिग्गज को जीतनेवाले अपने भाई को देखा कि वह उस नागरूपी कमल पर निःशंक बैठा है, जिसके फन दल हैं और शरीर मृणाल । शंख से वह (कृष्ण) ऐसा शोभित है, जैसे चन्द्रमा से प्रकाशित हो या इन्द्रधनुष से सावनमेघ भूषित हो । संकर्षण ने तब उससे कहा- तुम दुर्वासना में क्यों पड़े हुए हो ? यहाँ क्यों आये ? यह क्या किया ? तुम्हारा गोकुल भीलों ने ले लिया है।
यह सुनकर अपने सुभटत्व के तेज से घिरा हुआ वह नगर से निकलकर चल दिया । वह गोपाल वृषभ
3. ।।' चउदिम् । 4. ।' डरंतहिं । AP एक्कहिं 6. AP पाक्कहिं 7. ABPS 'गज्जण' | N. AP पडु भयंकरु, BS मयंयु भयंकरु; Als. मयंधभयंकरु । *. * का कालुय। 10. A अविसिद्वेण ।
( 24 ) 1. 13 एम भणंतु 5 इय भगंतु । 2. B तेगु । 3. AP भमरु व 4. AP मेहु व तानें भूसिउ ।
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