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________________ ४२८ महापुराण [६४.४.१ वारणं मयालोणछप्पयं गोवई खुरुभिण्णवप्पयं । केसरि गलालंबिकेसरं गोमिणी सुमालाजुयं वरं। उग्गयं हिमसुं' दिणेसरं रत्तमीणजुम्म रईसर। सायकुंभकभाण संर्घद्धं पंकयायर लच्छिपायई। खीरवारिरासि महारवं विट्ठरं सकंठीरवं एवं । मंदिरं सुराणं बिहावियं . णायगेहमहिरायसेवियं। मेलयं मणीणं विपित्तयं शत्ति धूमके पलित्तयं। राइछेयष संविद्धिया सा णिवस्स बजरइ मुद्धिया । रसियाविरामे णियच्छियं दसणावलि कयसुइच्छियं । कहा ती तिस्सा फलं पई होहिहीं तुई सुट महामई । इंदचंदणाईदयदिओ दिवणाणि णिजियमणिदिओ। चक्रपट्टि भोत्तूण भूयलं पाविही पयं परमणिकलं । जवा-- गिणिति रह सह आइय मंदिर मीणइ ।। बुद्धि सच्छि सिरि कति हिरि दिहि किचि वि लीलागइ ।। ४ ।। १. कय धणएं दरिसियसुरणसुढि सावणमासंतरि कसणपक्खि छम्मासु जाम ता रयणबुट्टि। दहमइ दिणि भाणवजणियसोक्खि । Arram जिसके मदमें भ्रमर लोन है ऐसा गज, अपने खुरोंसे वप्रकोड़ा करता हुआ वेल, गले तक लटकती हुई क्यालवाला सिंह, लक्ष्मी, सुन्दर मालाका उत्तम युग्म, उगता हुआ चन्द्र और सूर्य, खेलता हुमा रक्त मीनयुगल, स्वर्णकुम्भोंका युग्म, शोभाको प्रकट करता हुआ सरोवर, महाशब्दवाला क्षीरसमुद्र, नव सिंहासन, देवोंका विमान, नागराजोंसे सेवित नागभवन, मणियोंका विचित्र संगम और शीघ्र ही प्रदीप्त अग्निको उसने देखा। रात्रिका अन्त होनेपर जागी हुई वह मुग्धा राजासे कहती है कि रात्रिके अन्तमें मैंने शुभ और इच्छितको करनेवालो स्वप्नावली देखी है। पति उससे उसका फल कहता है कि तुम्हारा महामतिमान् पुत्र होगा। इन्द्र-चन्द्र और नागेन्द्रसे वन्दित दिव्यज्ञानी मन और इन्द्रियोंके विजेता, चक्रवर्ती जो भूतलका भोगकर परम निष्कल पद ( मोक्षपद ) प्राप्त करेगा। पत्ता-यह सुनकर वह सती सन्तुष्ट हुई। मेनका उसके घर आयो। बुद्धि-लक्ष्मीश्रो-कान्ति-ह्रो-ति और लोलागति कीर्ति भी ।।४।। कुबेरने सुजनको सन्तुष्ट करनेवाली रत्नवृष्टि छह माह तक की। श्रावण माहके कृष्णपक्षमें ४. १. A अरविभिष्ण । २. AP गोमिणि । ३. A हिमैसुं । ४. P संघणं । ५. A मेलयं विधित्तं मणोणयं ६. AP तुहं सुबो पहोही महामई । ७. A संतुटुमा । ५. १. A रयणविद्धि।
SR No.090275
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages522
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size15 MB
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