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महापुराण
[ ६१. २०. ५मंतिनि हुन्मर मंदपायु संणासे गई ईमाणकप्पु । जंबूदीवंतरि कच्छदेसि वेयड्ढा उत्तरसेढिवासि । पुरि कण्यतिलइ णं पुण्यदु णामें महिंदविका खगिंदु । तहु पणइणि णामें गोलवेय सुरु मेलिवि सुरतणु अमियतेय । चिरु वणि सुदत्तु जो दुक्खरीषु । सो तहि सुउ जायउ अजियसेणु । इंदीवरदलसंकासणेत्तु । जे हित्तर वणितणयहु कलत्त । सीमकरसूरिहि पविवि पाय तज चरिवि धोरु चूरिवि कसाय । णियक्षिण णिदिवि णायणेउ गउ मोक्खहु सोणिवे णलिणकेउ । पत्ता-पीइंकरि सुव्वयसंजइहि पासि मुएप्पिणु घरणियलु ।
चंदाराणु चरिवि पसण्यामइ मय पक्खालिपि पावमलु ॥२०॥
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ईसाणि देवि तित्थाउ आय संतिमइ तुहारिय धीय जाय । इल अजियसेणु चिरवरु दुलंधु विजउ साह तिहि करइ विग्घु । इय णिसणिवि कण्णइ पुध्वजम्मु । खेमंफरणाहस पासि धम्मु । संतिमई सुगथपियक्खणाहि हुई सीसिणिय सलक्खणाहि । देवत्तु लहेप्पिणु बीयसम्गि संचरइ जाम गयेणयलमगि । ता पेक्खा जो णरजम्मि ताल सो जिणव जायज वाउवेट ।
वास है, ऐसे सुव्रतके निकट मुनि हो गया । दुर्मद काममदका क्षय कर संन्याससे वह ईशान स्वर्गमें गया। जम्बूद्वीपके अन्तर्गत कच्छ देशमें विजयाध पर्वतकी उत्तर श्रेणी में स्थित कनकतिलक (कांचनतिलक) का विद्याधर राजा महेन्द्रविक्रम था, जो मानो पूर्णचन्द्र था। उसकी प्रणयिनी नोलगा थी। अमिततेज देव जो पहले दुखसे क्षीण सुदत्त नामका वणिक् था, वह उसका अजितसेन नामका पुत्र हुआ और जिसने कमलके समान नेत्रोंवाली वणिपुत्रकी पत्नीका अपहरण किया था। सीमन्धर स्वामीके चरणोंमें प्रणाम कर तथा घोर तपश्चरण कर, कषायोंको चूर-चूर कर, अपने पापोंको निन्दा कर तत्त्वोंको जाननेवाला वह राजा नलिनकेतु मोक्ष गया।
पत्ता--प्रसन्नमति और प्रीतंकरी भी सुबला आर्यिकाके पास धरिणीतल को छोड़कर चान्द्रायण तपकर तथा पापमलका प्रक्षालन कर मृत्युको प्राप्त हुई ॥२०॥
ईशान स्वर्गकी देवी प्रीतकरी { प्रोतकरा ) वहाँसे आयी और शान्तिमती नामसे तुम्हारी पुत्री हुई। यह अजितसेन पूर्वजन्मका दुर्लभ वर है जो विद्या सिद्ध करतो हुई इसे विघ्न कर रहा है। इस प्रकार अपना पूर्वजन्म सुनकर क्षेमकरस्वामीके निकट कन्या शान्तिमतो सुशास्त्रोंमें पारंगत आर्यिका सुलक्षणा को शिष्य हो गयी। दूसरे स्वर्ग में उत्पन्न होकर जब वह आकाशतलमें विचरण कर रही थी तो वह देखती है कि जो मेरे पूर्वजन्मके पिता वह वायुवेग जिनवर हो
३. AP हुन । Y. A परिणवियु; पुणियंदु । ५. A अभियसेणु । ६. A नृत; P णिज । ७. A
पोइंकर । ८. AP मय । ९, A पायमल्छु । २१. १. AP तुहारी । २. AP इस शिसुणेपिणु अप्पणन जम्मु । ३. AP गयणमगामग्गि ।