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महापुराण
तो कि जिया को वि सुवणंतरि हिंडइ दव्वपिसाएं मुत्तष यह चोरु चिततें गहिय
तारापण वितं सद्दद्दियसं
पत्ता - बणि डिभस है। सहि परियरिउ भ्रमइ णयरि परिमुकसह ॥ आरड करुणु रुणमणि घिर
चमिति !
म दिहित सीलविसुद्धइ परचणगुणतयचितहिं रिट्टाणु दोणु दालिदिउ हू पित ण को वि आयण्णइ णि तु मंदिर चोरहूं उप एम चवेणु सुंदरु विहियचं पर्याहि परंतु संतु इकारिष्ट दोहिं भि अक्खजूड पारद्ध मज् जाइ णीसेस देस हु चामीयर सोहा सोहिल हि बिष्ण वि एयई भूसियगत्तई महियंगुलिया बज्जुज्जेलियइ
एहु लय चोरेहिं वर्णतरि । जंप जं जि तं जि अवचित्तव ।
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तामहपवित्र तु विरुद्धइ । मeिases भामिज धुत्तहिं । अप्पणु as वि होइ सोइदिउ । रा विणिवयणु ण मण्णइ ।
पासालउ पासि संनिहियउ । आज महंतु तहिं जि वइसारिउ । देवि भझ उत्तर लद्धरं । तुन्भु वि "सुत दिवस | अरु वि मुर्देइ मणितेइल हि । रायाणिय छइल्लइ जित्तई । वीय सहुं अंगुत्थलियइ ।
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क्या कोई इस संसार में जीवित रह सकता है ? यह वनके भीतर चोरोंके द्वारा लूट लिया गया है और द्रव्यपिशाचसे सताया हुआ यहाँ घूमता है। वह जो कुछ भी कहता है वह उद्घान्त चित्तका कथन है। विचार करते हुए राजाने इसे सुन्दर समझ लिया और उसका विश्वास कर लिया ।
पता - हजारों बालकोंसे घिरा हुआ उन्मुक्त स्वरवाला वह वणिक् नगर में घूमता फिरता । सूर्योदय होनेपर राजाके घर के निकट पेपर चढ़कर वह करुण स्वरमें चिल्लाता ||८||
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तब भाग्यशालिनी शीलसे विशुद्ध महीदेवीने कुपित होकर मुझसे कहा, "दूसरों को ठगने के गुण दत्तचित्त धूर्तोंके द्वारा राजाकी बुद्धि घुमा दी जाती है। जो निरुद्यम, दीन और दरिद्र है चाहे वह खुद कितना ही स्नेहयुक्त हो उसके कहेको कोई नहीं सुनता। राजा भी निर्धन के वचनको नहीं मानता। हे राजन्, तुम्हारे घर में चोरोंकी उन्नति है ।" यह सुनकर उसने एक सुन्दर बात की। वह धूतफलकके पास बैठ गयी। पैरोंपर पड़ते हुए उसने मन्त्रीको पुकारा और आये हुए मन्त्रीको उसने वहीं बैठा लिया। दोनोंने अक्षद्यूत प्रारम्भ किया । देवीने भी भला उत्तर पा लिया कि मेरे समस्त देश और तुम्हारे द्विजवर वेशके जनेऊ और स्वर्णशोभासे शोभित मणिते असे युक्त अंगूठीका खेल ( जुआ ) होगा । शरीरको भूषित करनेवाली ये दोनों चीजें चतुर रानीने जीस - बिजलीकी तरह चमकती हुई बहुमूल्य अँगूठीके साथ जनेऊ ।
४. A omits बि । ५. A चोर । ६. AP चित्तं । ७. A सहासि । ८. AP णिवघरि पियडवं । ९. १. २. A adds this line in second hand; P omits it ३ AP fज । ४. AP मुहि । ५.AP विज्जुज्ज लियद्द; but gloss in T होरवीच्या ।