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४२. १४. २]
महाकवि पुष्पदन्त विरचित
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कुंथुपमुह परणावियसुरवर तासु सद्विसत्तारह गणहर । रिसिहि धिणासियघोराणंगहं। तेरहसयई धरियपुवंगह। अडदोलई जि सहासई भिक्खुई दुसईए संजुत्तई सिक्खुई। लहसाहास अवहीपैरियाण तेत्तिय भणु मणपज्जवणाणहं । ते चिय पंचसयाहिय संतई केवलेधक्खुणिहालणवंतई। एयारहसहास वइकिरियई पंच वि वाइहिं बहुणयभरियहं । पयडियदुम्मेहवम्महमारिहिं संजमचारिणीहिं घरणारिहि । एक्कु लक्खु वीसेव सहासई दो लपवई साषयहं पयास । चहलक्खई देसम्पअधारिहिं माणवमाणिणी हि मणहारिहि । अमर असंख तिरिक्ख णिरिक्खिय सह संखाइ जिणिदें अक्खिय। एकवीस तहिं वरिसडे लक्खई बिहिं परिसहिं विरहियई ससोखंई । सुरवहरइयइ जणसुइसइइ महि विहरिवि अरहंतविहूइइ । घत्ता-गिरिसमधा मेहलाद लंबियकरबलु र जि मानु ।
जिह सो तिह तणु परिहरिवि अवरु वि संठिल मुणिहिं सहासु ।।१३।।
जीवेप्पिणु कयतिड्डयणहरिसह पहु सावणपुणियहि जणिहि
जिणु चउरासीलक्खई वरिसह । चदि परिविइ गपि धणिटुहि ।
जो सुरवरोंके द्वारा प्रणम्य हैं ऐसे कुंथु प्रमुख, उनके सत्तर गणधर थे, पोर कामदेवका नाश करनेवाले पूर्वांगोंको धारण करनेवाले तेरह सौ मुनि घे, अड़तालोस हजार दो सौ शिक्षक मुनि थे, अवधिज्ञानी छह हजार थे और इतने ही अर्थात छह हजार मनःपर्ययज्ञानी थे, केवल ज्ञानरूपी आँख से देखनेवाले केवलज्ञानी छह हजार पाँच सौ थे। विक्रिया-ऋद्धिको धारण करने. वाले ग्यारह हजार मुनि थे। पांच हजार बहुनयधारक वादो मुनि थे। प्रगट दुर्मद कामदेवका नाश करनेवाली संयमधारण करनेवाली आर्यिकाएँ एक लाख बीस हजार थीं। दो लाख श्रावक थे। देशनत पारण करनेवाली मनुष्योंके द्वारा मान्य सुन्दर भाविकाएँ चार लाख थीं । देव असंख्य थे और तिथंच संख्यात थे, ऐसा जिनेन्द्रने कथन किया है। दो वर्ष कम एक लाख इक्कीस वर्ष तक सुखपूर्वक, इन्द्र के द्वारा रचित जनके शुभ की सूचक अरहन्त को विभूतिके साथ परतीपर विचरण कर।
पत्ता-सम्मेदशिखरके कटिबन्धपर हाथ लम्धे कर एक माहके लिए जिस प्रकार वह उसी प्रकार दूसरे एक हजार मुनि अपने शरीरका परित्याग कर प्रतिमायोगमें स्थित हो गये ॥१३||
त्रिभुवनको हर्ष उत्पन्न करनेवाले चौरासी लाख वर्ष तक जीवित रहकर, श्रेयांस जिन, श्रावण शुक्ला को लोगोंको आनन्द देनेवाली पूर्णिमाके दिन चन्द्र के धनिष्ठा नक्षत्रमें स्थित होनेपर, १३. १. / अबवालसहासई भिक्या है । २. A दुइसाइसंजुत्तई । . AP परिमाणहं । ४. A केवलि सक्छ ।
५. A किरियह; P विकिरियह। ६. Aषामहं यम्मह। ७. AP संजमघारिणीहिं । ८. A समाखई।