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महाकवि पुष्पवन्त विरचित
खेलूँ जिउ रोल्लू व इलभोड सविग्गहु सद्दु व लक्खण तु
व समे णिवेसियलोउ । पज संधि बियाणइ मंतु । पत्ता-अन्यहि दिणि तेण णराहिण चितिउँ हो पहुच्चइ ॥ अं पुर मेल्लइ वल्लहउं अप्पणु तं लड्डु मुरुद ||२||
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४३. ३.११ ]
अरे जडजीव समासमि तुभु गयासु लाल लोहर से जणेण व्रणो पणविज्जइ तेंब मग सुरंगम फिकर कासु मित्तु कलत्तु पुत्तु ण बंधु विचितिविवरुितु मणेण सवित्ति धरिति निवेश्य तासु गुरु' पहिया पणवे विं द सेकसूयंगवयाई धरेषि सुपोभोयणुभक्खु सेवि छुहा भये मेहुणु हि एवि
कस्स दिई जगि को 'विण मज्छु । निरंतरयं णियकज्जव सेण । सजीव तासु रक्खड़ जैव । फलक्खड़ पक्खि व जंति दिसासु । सरी वि एवं विणासि दुगंधु । कोक्किम पुत्तु सुमित खणेण । धरामरधारण कंधरु जासु । थिओ जिदिखवयक्खमु होवि । पुरायरगामसयाई रेषि । risert सुवास वसेबि । समाजले कलंक धुवि ।
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भोगवाला था, जो आकाशके समान समेह ( मेघ ओर बुद्धिसे सहित ); और लोको निवेशित करने वाला था । जो शब्द की तरह विग्रह-रहित ( संघर्ष और पदविग्रहसे मुक्त ) था, व्याकरणकी तरह सन्धिका प्रयोग करता था और मन्त्रको जानता था ।
घत्ता - दूसरे दिन राजाका सोचा पूर्ण होता है। यदि वह प्रिय नगरको छोड़ता है तो खुद भी मुक्त हो जायेगा || २ ||
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अरे जड़ जी, मैं तुझसे कहता हूँ कि दुनियामें में किसोका नहीं है और कोई मेरा नहीं है। लोभ रस और निरन्तर अपने-अपने कार्यके वशसे मतालस और लालची है। मनुष्यके द्वारा मनुष्यको इस प्रकार प्रणाम किया जाता है कि उसके द्वारा अपने जीव की भी रक्षा नहीं की जाती । गज, अश्व और अनुचर किसके ? फल क्षय होनेपर पक्षियों के समान दिशान्तरों में चले जाते हैं। न मित्र, न कलत्र, न पुत्र और न बन्धु, यह शरीर विनाशी और दुर्गन्धयुक्त है। अपने मन में अच्छी तरह यह विचारकर उसने एक क्षण में अपने पुत्र और मित्रको पुकारा और वृत्ति सहित धरती उसे सौंप दी कि जिसके कन्धे धराका भार उठाने में समर्थ थे। गुरु पिहिताश्रवको प्रणाम कर, जिनदीक्षा और व्रतोंमें सक्षम होकर वह स्थित हो गया। ग्यारह श्रुतांग व्रतोंको धारण कर, सैकड़ों नगरों और ग्रामों में विचरण कर, प्रासुक भोजनका बहार ग्रहण कर, नपुंसक, स्त्री और पुंस्त्वकी वासनाको वश में कर भूख, भय, मैथुन और नींदको छोड़कर ( आहार निद्रा भय और
१०. खल्लि व हलभोड; P खलुझिय तेल व हलु भाउ ११. P सदु सलमखणवंतु । ३. १. A पयामि । २. P को दि । ३. P मोहरसेण । ४ A तासु वि । ५. A एम विणासि । ६. A मित्तु सुसु । ७. A घरामरधारण; P पराभव धारणु । ८. A पिहियासव णं पणवि ९A सुफासूय । १०. A छुहाम ममेहूणु ।
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