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________________ महापुराण [३२.२.६ दिह तेहि उवषणि वियोयधु सदलु सहलु कोमलु वड़पायवु । पत्थरघडिस जडिन बहुरयणहि संथुर णाण बुहयणवयणहिं । नहू तलि जक्खु णाम जंगपालव अवर णिहालिउ परवरमेलउ । धत्ता-जगपालणरिंदह तवचरणे सुरु लोएं तहिं संणिहिउ चणे ॥ तहु अग्गा पश्चिउ गरमिहशु वसुपालु भणइ सिरिपाल सुणु ||२|| विणि वि णारित विषिण वि गरवर जइ पेइंति होति ता मणहर । तं णिसुणेवि फुमारे उत्तउं वेव देव मई मुगिउं णिरुत्ताई। जरवेसेपा सरलसोमाली एह दुइजी णडइ महेली। तहि अवसरि कामें सरु ढोइउ मायापुरिसें रमणु पलोइन । ढिल्लीहूयउ णीवीबंधन परिभमंति जयणई कइ मणु । फुरइ अहरु पासेउ पाक्यलइ - कैसभा दढवधु वि विधलइ। सुसइ वयणु खलियक्खरु भासइ ता कंचुइइ सुइयह सीसइ । पुक्खलवइविसयम्मि सुहम्म रम्मउ देसु धणोहे रम्म । तहि सिरिरि लच्छीहर णरवाइ तहु सुहकारिणि धरिणि जयावइ । जसमइ दुहिय महिय णिचंदे पुच्छिष्ठ जावइ णविवि परिंदें। खयकंदप्पडप्पदुमद अक्खिउ इंदभूइसवणिदें। पुरिसवेस पश्चंती जाण जो सो पुतिहि जोवणु माणइ । तं णिसुणिवि महु गायणवायण दिपणा राएं भाउप्पायण । दिट्ठल मंतिहिं जं जिह जेहन कन्जु पयासित तं तिह तेहज । घत्ता-परियचिवि पुरई सधयवडई पयराइं सखेडई कब्बडई॥ णचावहि दावहि तणय तिह वरइत्तु णिहालहि तुरिध जिह ॥३॥ पेक्खु पेस्खु पश्चात णिरावय ता मई आणिय वणदेवय । सुय जयराउ णयरि णचंती जणु णवरससलिले सिंचती। पहिं एउ समागय पुरधरु तुहं दिट्टो सि होसि एयहि बरु । णचइ मुद्धहि सच्छ सहेजी णपरमेसरपुत्ति दुइज्जी। ताई जुवेस दिपणई वत्थई आहरणई मंदिरई पसत्थई। एस्थतरि संहिसुहई जणरज जणणियाद पेसिउहकारउ । २. MB बिहियायउ; T विहयायउ । ३. MB पायउ । ४. B जुगपालज । ५. MB सुरलोए । ३. १. MB पच्चंत । २. MB वृत्त । ३. MB सरु कामें । ४. MB कपिय तणु । ५. MB दढबंधु वि विलुला। ६. B सुसियवयणु । ७. MB कंचुइया । ८. MB सहम्मड । ९. MB सिरिजलि । १०. MB णिवर्षदें। ४. १. MB णज परमैसर । २, B सुहा जणियारउ ।
SR No.090274
Book TitleMahapurana Part 2
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages463
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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